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प्रधानमंत्री की वैज्ञानिकों से अपील, कृत्रिम बुद्धिमता जैसे नवीन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रहें आगे
By Deshwani | Publish Date: 1/1/2018 7:34:26 PM
प्रधानमंत्री की वैज्ञानिकों से अपील, कृत्रिम बुद्धिमता जैसे नवीन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रहें आगे

 नई दिल्ली, (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि वर्तमान में विज्ञान जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है उससे जुड़े शोध में भारतीय वैज्ञानिकों को आगे रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्रांति में भले ही हम पीछे रह गए हों लेकिन वर्तमान में कृत्रिम इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, साइबर-भौतिक सिस्टम, जीनोमिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे क्षेत्रों में उपलब्ध अवसर का लाभ हमें उठाना ही चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘आप सफल होंगे तो देश सफल होगा। आपके संकल्प सिद्ध होंगे तो देश के संकल्प सिद्ध होंगे।’’

सोमवार को महान वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस की जयंती पर दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोलकता में बोस इंस्टिट्यूट में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने उक्त बातें कहीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्येंद्र नाथ बोस का नाम विज्ञान के इतिहास में अवधारणाओं और पदों जैसे बोस सांख्यिकी, बोस आइंस्टीन कंडेनसेशन और हिग्स बोसोन के चलते अमर हो गया है ।
 
क्वांटम भौतिकी की उस अवधारणा जिसमें एक कण किसी दीवार के आर-पार जा सकता है को एक उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा कि उन्हें अपने साथी वैज्ञानिकों के साथ अपने अनुभवों को साझा करना चाहिए और एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहयोग करना चाहिए। 
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी वास्तविक क्षमता तक पहुंचने और भारतीय विज्ञान को उसकी सही महिमा तक ले जाने के लिए हमें एक क्वांटम कण की तरह होना चाहिए जो अपने दायरों से बाहर निकल जाता है।’’
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि अकादमियों से लेकर संस्थानों तक सभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारों को इकट्ठा करने और उद्योगों को स्टार्टअप में लाने के लिए देश में सिटी आधारित ‘आरएंडडी क्लस्टर’ तैयार किए जा रहे हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि अपने इनोवेशन की दिशा सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तय करें। उन्होंने कहा कि देश में लाखों लोग विशेषकर आदिवासी समुदाय में हजारों बच्चे सिकल सेल अनेमिया से ग्रसित हैं। क्या हम इस बीमारी का सस्ता एवं सरल समाधान पूरी दुनिया को देंगे?
 
उन्होंने कहा, ‘‘क्या कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए और ज्यादा सस्ती और प्रोटीन युक्त दालों की नई वैराइटी को बनाया जा सकता है? क्या सब्जियों और हमारे अनाज की क्वालिटी को और बेहतर किया जा सकता है? क्या नदियों की सफाई के लिए, नदियों को खर-पतवार से मुक्ति दिलाने के लिए, नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए नई तकनीकी पर काम और तेज किया जा सकता है?’’
 
बंगाल के लोगों की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की बात हो, साहित्य हो, विज्ञान हो, स्पोर्ट्स हो, हर क्षेत्र में बंगाल के ‘जल और मिट्टी’ का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गुरुवर रविंद्र नाथ टैगोर, सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बंकिम चंद्र- शरद चंद्र, सत्यजीत रे, आप किसी भी फील्ड का नाम लीजिए, बंगाल का कोई न कोई सितारा वहां चमकता दिखेगा।
 
उल्लेखनीय है कि क्वांटम भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस का 1894 में आज ही के दिन जन्म हुआ था। यह वर्ष उनका 125वां जयंती वर्ष है जिस पर सालभर होने वाले कार्यक्रमों का सोमवार को आरंभ हुआ । 
 
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