नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि भारत आज विश्व में उस पटल पर पहुंच गया है जहां दुग्ध व्यवसाय में वैश्विक स्तर पर उद्यमियों के लिए अनेक संभावनाएं उभर कर सामने आ रही है। उन्होंने उक्त बातें शुक्रवार को आयोजित डेयरी विकास पर परामर्श हेतु गठित समिति की बैठक में कहीं।
राधामोहन सिंह ने कहा कि डेयरी विकास हेतु तीन महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं- राष्ट्रीय डेयरी परियोजना-1 (एनडीपी 1), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) तथा डेयरी उदयमिता विकास योजना।
राष्ट्रीय डेयरी योजना के तहत एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) का कार्यान्वयन राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है।
जबकि डेयरी उद्यमिता विकास योजना का कार्यान्वयन नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्राम विकास बैंक) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से जिले में स्थित राष्ट्रीयकृत बैंकों के द्वारा किया जा रहा है।
डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि का जिक्र करते हुए कहा कि यह योजना दुग्ध किसान की आय को दुगुना करने के उद्देश्य से तथा श्वेत क्रांति के पूर्व प्रयासों को तीव्र गति से आगे बढ़ाने हेतु एक महत्वकांक्षी योजना वर्ष 2017-18 से प्रारंभ की गयी है। इस योजना का कार्यान्वयन एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं की रुचि धीरे-धीरे अधिक प्रोटीन वाले उत्पादों की ओर बढ़ रही है एवं वेल्यु एडेड (मूल्य वृद्धि) उत्पादों का चलन भी बढ़ने के कारण दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है। गत 15 वर्षों में दुग्ध सहकारी संस्थाओं ने अपने कुल उपार्जित दूध के 20 फीसदी हिस्से को वेल्यु एडेड (मूल्य वृद्धि) दुग्ध पदार्थों मे परिवर्तित किया है जिससे तरल दूध की अपेक्षा 20 फीसदी अधिक आय प्राप्त होती है। सिंह ने बताया कि ऐसी अपेक्षा है कि वर्ष 2021-22 तक 30 फीसदी दूध को मूल्य वृद्धि पदार्थों मे परिवर्तित किया जाएगा।