नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों और मोबाइल को 'आधार' से लिंक करने की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ाने की केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कल्याणकारी योजनाओं से भी 'आधार' को जोड़ने की समय सीमा बढ़ाते हुए 31 मार्च कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने कल याचिकाकर्ताओं की याचिका पर ये फैसला सुनाया । 14 दिसंबर को संविधान बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच नियमित सुनवाई 17 जनवरी से करेगी।
14 दिसंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार से योजनाओं को लिंक करना आम आदमी की स्वेच्छा पर निर्भर करता है, लेकिन सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया। ये आदेश 'आधार' को केवल छह योजनाओं से लिंक करने के लिए था लेकिन सरकार ने इसे 139 से भी ज्यादा सेवाओं के लिए जरुरी कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से आज गोपाल सुब्रमण्यम, मीनाक्षी अरोड़ा, केवी विश्वनाथन, अरविंद दातार, केटीएस तुलसी, आनंद ग्रोवर, सज्जन पोवैया और प्रशांत भूषण ने दलीलें दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया निजता के अधिकार पर फैसले के बाद आधार को लिंक करना नागरिकों के अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा था कि धारा 144 के तहत सभी प्राधिकार को सुप्रीम कोर्ट का सहयोग करना चाहिए न कि उसके आदेश के विरोध में होना चाहिए। मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि देश के बैंकिंग सिस्टम ने पिछले 70 सालों में बिना आधार के भी अच्छा काम किया है। केवी विश्वनाथन ने कहा था कि ये केवल मोबाइल और बैंक खातों के लिंक करने का मामला नहीं है बल्कि ये नागरिकों के संवैधानिक अधिकार से जुड़ा है।
याचिकाकर्ताओं की दलीलों का विरोध करते हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि जो भी नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं वे आधार एक्ट की धारा 7 के तहत जारी किए गए हैं। आधार को बैंक खातों से लिंक करने के पीछे मनी लाउंड्रिंग को रोकने की नीयत है। उन्होंने कहा कि बैंक खातों से आधार को लिंक करने की समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी गई है। नए बैंक खातों के लिए अगर आधार के रजिस्ट्रेशन का आवेदन संख्या ही पर्याप्त है। उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि मोबाइल से आधार को लिंक करने की समय सीमा 6 फरवरी से 31 मार्च तक बढ़ाई जा सकती है।