नई दिल्ली, (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम से यमुना को हुए नुकसान के लिए आर्ट ऑफ लिविंग को दोषी करार दिया है। हालांकि एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग पर अतिरिक्त जुर्माना नहीं लगाया है। आर्ट ऑफ लिविंग ने जुर्माने के रुप में पिछले साल पांच करोड़ रुपये में से 25 लाख जमा किए थे। एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग को निर्देश दिया है कि जुर्माने की बाकी रकम का भुगतान करें। एनजीटी ने डीडीए को निर्देश दिया है कि आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा जमा किए गए पांच करोड़ रुयपों का इस्तेमाल वो यमुना को पुराने स्वरुप में लाने पर खर्च करे। पिछले 13 नवंबर को एनजीटी ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पिछले 29 मई को यमुना को हुई क्षति के आकलन के लिए एनजीटी द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को आर्ट ऑफ लिविंग ने गलत करार दिया था।आर्ट ऑफ लिविंग ने इसे गलत और भ्रमपूर्ण बताया था। आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट बनाते समय अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया।
आर्ट ऑफ लिविंग के वकील निखिल सखरदांडे ने विशेषज्ञ समिति द्वारा इस्तेमाल किए गए सैटेलाइट इमेज पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा था कि पांच सितंबर 2015 के केवल एक सैटेलाइट इमेज के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर दी गई। उन्होंने कहा था कि मिट्टी के संघनन के बारे में भी कोई तकनीकी आंकड़ा पेश नहीं किया गया। पुनर्वास के सवाल पर आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति को ही कार्यक्रम के पहले की जमीनी हकीकत का पता नहीं था।
पिछले 11 मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की इस बात के लिए खिंचाई की थी कि उसने एनजीटी के एक्सपर्ट पैनल की राय पर आक्षेप किया। एनजीटी ने कहा कि अगर यमुना का पर्यावरण बिगड़ता है तो वो डीडीए को इसके लिए जिम्मेदार मानेगा क्योंकि उसी ने आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम की अनुमति दी थी।
एनजीटी ने एक्सपर्ट पैनल का गठन आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम के दौरान हुए नुकसान काम जायजा लेने के लिए किया था। इस पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यमुना किनारे की स्थिति को अपनी पुरानी मूल स्थिति में लाने के लिए 42 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
सुनवाई के दौरान जब डीडीए ने कहा कि एक्सपर्ट पैनल की राय सही नहीं है तब एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने नाराज होते हुए कहा कि एक्सपर्ट पैनल में शामिल लोगों ने पर्यावरण के लिए अपना जीवन लगा दिया और आप उनकी राय को ग़लत बता रहे हैं।