नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केन्द्र, राज्यों और स्थानीय निकायों के बीच करों के बंटवारे से जुड़ी सिफारिशें करने वाले 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने एक प्रेसवार्ता में मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि हर पांच वर्षों में वित्त आयोग का गठन किया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्त आयोग की सिफारिशें 2015 से लागू हुई थी और यह 2020 तक लागू रहेंगी। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 1 अप्रैल 2020 से अगले पांच वर्षों के लिए लागू होंगी।
उन्होंने बताया कि वित्त आयोग को अपनी सिफारिश देने के लिए आमतौर पर अपने गठन के बाद करीब दो साल लगते हैं। ऐसे में इसके गठन को आज मंजूरी प्रदान की गई है। इसके अगले क्रम में अब आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी।
कैबिनेट की ओर जारी वक्तव्य के अनुसार, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 280 (1) के तहत, यह एक संवैधानिक दायित्व है। 15 वें वित्त आयोग के लिए संदर्भ की शर्तों को समय आने पर सूचित किया जाएगा।’’
उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त आयोग का गठन 02 जनवरी 2013 को किया गया था। इसने अपनी सिफारिशें 15 दिसंबर 2014 को सौंप दी थी जो 1 अप्रैल 2015 से लागू की गई।
आतंक और संगठित अपराध रोकने पर भारत-रूस में समझौते को मंजूरी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे गंभीर विषयों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रूस के साथ समझौता किए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। समझौते पर 27-29 नवंबर को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के रूस दौरे के दौरान हस्ताक्षर किए जाएंगे।
यह समझौता अक्टूबर 1993 के दौरान हुए समझौते का स्थान लेगा। समझौता कई आधुनिक खतरों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। समझौते के तहत जानकारी और अनुभव को साझा किया जाएगा।
न्यायाधीशों के वेतनमान में 7वें वित्त आयोग के अनुरुप बदलाव को मंजूरी
केन्द्र सरकार ने उच्चतम और उच्च न्यायालयों व इनसे सेवानिवृत्त हुए न्यायाधीशों के वेतन, पेंशन, भत्तों व ग्रेचुटी में 7वें वित्त आयोग के अनुरुप बदलाव किए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। इसके तहत अब उच्चतम और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन से जुड़े दो कानूनों में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।
इन बदलावों से उच्चतम न्यायालय के 31, उच्च न्यायालय के 1079 और इनसे सेवानिवृत्त हुए 2500 न्यायमूर्तियों को लाभ मिलेगा।
वेतन, पेंशन, भत्तों व ग्रेचुटी में किए गए बदलाव 01 जनवरी 2016 से लागू होंगे और इनका एरियर एक मुश्त राशि के तौर पर एक बार में देय होगा।