नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद दीपावली पर लोगों ने इतने पटाखे छुड़ाए कि राष्ट्रीय राजधानी दुनिया का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाले शहरों में शुमार हो गई है। दिल्ली में शुक्रवार को प्रदूषण का सूचकांक बढ़कर 350 के पार पहुंच गया, जो बेहद खतरनाक स्तर है।
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया था, लेकिन इस बैन का बड़ा फ़ायदा दिल्ली की हवाओं में देखने को नहीं मिल रहा है। आसमान में प्रदूषण भरी धुंध साफ देखी जा सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार आज सुबह छह बजे दिल्ली में प्रदूषण सूचकांक 351 दर्ज किया गया । सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्ट (सफर) के अनुसार सूचकांक 350 पर तभी पहुंचेगा जब लगभग पिछले साल जितने ही पटाखे छोड़े जाएंगे। वहीं दिवाली की रात को एयर क्वालिटी इंडेक्स 319 है और यही इंडेक्स पिछली दिवाली पर 431 था।
यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की सेफ लिमिट से 10 गुना ज्यादा है। 25 माइक्रोग्राम को सेफ लिमिट माना जाता है।
यह स्तर क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, लंग कैंसर और दिल की कई बीमारियां पैदा करता है। 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे ने दुनिया भर के 1,600 देशों में से दिल्ली को सबसे ज्यादा दूषित करार दिया था। इस साल की शुरुआत में अमेरिका के दो हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूटों के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण के कारणों हर साल लाखों अकाल मौत मर रहे हैं।
हालांकि दिपावली पर केवल वायु प्रदूषण ही नहीं ध्वनि प्रदूषण भी चरम पर रहता है। सीपीसीबी से मिली जानकारी के अनसुार, पिछले छह सालों का ट्रेंड बताता है कि ध्वनि प्रदूषण हर साल बढ़ता ही जा रहा है। लोगों को शोर वाले पटाखे अधिक पसंद आते हैं और पूरी रात इनका शोर जारी रहता है। अधिक शोर रहने से लोगों में बहरापन, कान दर्द, कान में झनझनाहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द जैसी शिकायतें बढ़ती हैं।