अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंक प्रायोजित करने वाले देशों को अलग-थलग करे : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली, (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंक प्रायोजित करने वाले देशों को अलग-थलग करने के लिए प्रयास करना होगा। नायडू यह बात सोमवार को मानेसर (हरियाणा) में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के 33वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही। उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर एनएसजी के 19 बहादुर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एनएसजी विशेष रूप से प्रशिक्षित, उच्च कौशल संपन्न और अत्यधिक प्रेरक बल है, जिसे भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियां दी जाती हैं। एनएसजी की उपलब्धियों पर पूरे देश को गर्व है। उन्होंने कहा कि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड बहादुरी, पेशेवर दृष्टिकोण तथा अत्यंत समर्पण का पर्याय है। देश अक्षरधाम, मुम्बई तथा पठानकोट हमलों में निभाई गई एनएसजी की भूमिका को हमेशा याद रखेगा।
वेंकैया नायडू ने कहा कि हाल के वर्षों में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं| कुछ हमले ऐसे स्थानों पर किए गए हैं जिसके बारे में सोचा भी नहीं गया था। उन्होंने कहा कि भारत पिछले तीन दशकों से आतंकवाद के दुष्परिणामों का सामना कर रहा है। हमने हमेशा राष्ट्र विरोधी तत्वों को माकूल जवाब दिया है।
उन्होंने कहा कि हमारे शत्रुओं के काम करने के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। अब केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में ही खतरा नहीं है बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी है। इसके लिए हमें अपनी संचालन क्षमताओं की समीक्षा और उनमें वृद्धि करनी होगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी जैसी कोई बात नहीं है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं, कोई सीमा नहीं होती है। विचारधारा के नाम पर हिंसक वारदातों को अंजाम देने वालों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को कुचलने के बारे में विस्तृत समझौता करने की अपील की। इस संबंध में भारत का प्रस्ताव 1996 से लंबित है।
कार्यक्रम में हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा, एनएसजी के महानिदेशक सुधीर प्रताप सिंह तथा अन्य लोग मौजूद थे।