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लोकनायक जैसा नेता आजाद हिंदुस्तान ने आज तक नहीं देखा : आर के सिन्हा
By Deshwani | Publish Date: 11/10/2017 6:07:27 PM
लोकनायक जैसा नेता आजाद हिंदुस्तान ने आज तक नहीं देखा : आर के सिन्हा

नई दिल्ली, (हि.स.)। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सहयोगी रहे सांसद व हिन्दुस्थान समाचार अध्यक्ष आर के सिन्हा ने आज जेपी से जुड़े अपने कई संस्मरण साझा करते हुए कहा कि जेपी जैसा नेता आजाद हिंदुस्तान ने आज तक नहीं देखा। जेपी ने निस्वार्थ भाव से जीवन पर्यन्त संघर्ष किया और देश को एक राह दिखाई। आर के सिन्हा ने यह बात बुधवार को इंदिरा गांधी कला केंद्र में लोकनायक पर आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान कही।
 सिन्हा ने जेपी के साथ गुजारे अनुभव साझा करते हुए कहा, 'हम सभी लोग आंदोलन के दिनों से उनके साथ जुड़े थे। जेपी कोई बहुत बड़े प्रवक्ता नहीं थे पर वो सामान्य ढंग से छोटी टिप्पणी से बड़ी बात कह देते थे। 18 मार्च 1974 का दिन मुझे आज भी याद है। विधानसभा का घेराव करने के दौरान पेट्रोल पंप में आग लगी, फायरिंग हुई। जेपी ने शाम को कहा, बस में आग किसने लगाई ? हमला चाहे जैसा भी हो हाथ हमारा नहीं उठेगा।' 
सिन्हा ने कहा, 'जेपी से मेरा संबंध केवल आंदोलन से नहीं था| उन्होंने मेरे जीवन को छुआ है। मुझे शांत करने के लिये कहानियां सुनाई जाती थी। उस समय जेपी बिहार विद्यापीठ के मकान में रहते थे। आज की तरह उस समय कोठी नहीं होती थी। जैसे आज के समय में नेताओं और बड़े लोगों के लिये है। राजेन्द्र बाबू के लिये खपरैल के मकान को जेपी ने बनवाया था। जिसमे पूर्व राष्ट्रपति को रहना था। उसमें मालदा के आम के पेड़ लगाए थे। मै राजेंद्र बाबू के यहाँ आम खाने चला जाता था| जेपी उनके साथ रहते थे| मैं पहली बार जेपी से वहीं मिला।' उसके बाद चीन ने आक्रमण कर दिया| फिर मै संघ के काम में लगा रहा, जहां मेरी अक्सर जेपी से मुलाकात हो जाती थी। उस समय जेपी व्याख्यान के लिये मेरे स्कूल के पास आए थे। गेट पब्लिक लाइब्रेरी में 1971 में जेपी भारत-पाक युद्ध पर बोलने आये थे। कम लोग आए थे, तो सब को दरी पर बैठा कर सबसे उन्होंने बात की। उनकी संवाद कला इतनी अद्भुत थी कि सबको लगता था कि जेपी उनसे ही बात कर रहे हैं। जॉर्ज फर्नाडिस समेत तमाम लोग बैठे थे। सब को लगा कि जे पी उनसे बात कर रहे हैं। एक बार उनके यहां मैं गया तो उनके यहां खाने की व्यवस्था भी थी। तो पिताजी के कहने पर मैं कटहल ले गया। जेपी कटहल देखकर बहुत प्रसन्न हुए। इसके बाद तो मुलाकातों का सिलसिला चलता गया। उन्होंने भोजपुरी में कहा, बहुत दिन से कटहल न खइले रहीं। उनकी सम्वाद क्षमता इतनी बेहतर थी कि वह हर भाषा में उतने ही प्रभावी और फ़्लूएंट थे। मुझसे भोजपुरी में बात करते थे। बड़े-बड़े प्रतिनिधिमंडल से फ़्लूएंट इंग्लिश में बात करते थे और जरूरत होने पर एकदम शुद्ध हिंदी में बात करते थे। जिस दिन उन्हें गिरफ्तार किया जाना था। मैं गया उन्हें बताने की गृह सचिव आर एन आचार्य ने कहा है कि आपको गिरफ्तार किया जाना है तो उन्होंने कहा, 'जवाहिर की बेटी से इससे ज्यादा उम्मीद नहीं थी|' केवल इतने में उन्होंने अपनी पूरी बात कह दी। ऐसा संवाद करते थे कि आपको लगेगा की जेपी आपके हैं। जिससे मिलते थे गहरी छाप छोड़ देते थे।'
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