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केंद्र-राज्य के बीच फुटबॉल बना किसान
By Deshwani | Publish Date: 11/10/2017 4:45:53 PM
केंद्र-राज्य के बीच फुटबॉल बना किसान

नई दिल्ली, (हि.स.)। देशभर के किसानों में अब मोदी सरकार के खिलाफ रोष लगातार बढ़ता जा रहा है| इसकी एक बानगी आज जंतर-मंतर पर देखने को मिली। ओडिशा से हजारों की संख्या में किसानों ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। किसानों से  विशेष बातचीत कर असली मर्ज जानने का प्रयास किया| इसमें मुख्य रूप से एक बात निकल कर आई कि किसान आज केंद्र और राज्य के मध्य एक फुटबॉल बनकर रह गया है।
किसानों का आरोप है कि हमारी समस्याओं को लेकर राज्य सरकार कहती है कि केंद्र नहीं सुनता और केंद्र कहता है कि राज्य सरकार क्रियान्वयन नहीं करती है। हालांकि केंद्र सरकार ने कई योजनाएं प्रारम्भ की है लेकिन वो किसानों तक नहीं पहुंच पाई है। ओडिशा के दूर-दराज के इलाकों से आए किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में ठीक ढंग से जानकारी तक नहीं है। ओडिशा के नवनिर्माण कृषक संगठन से जुड़े किसान नेता रविदास ने बातचीत में बताया कि किसानों की बढ़ती आत्महत्या और शोषण के लिए केंद्र और राज्य सरकार बराबर की दोषी है।
 
उन्होंने कहा की कृषि प्रधान देश में आज सबसे ज्यादा बदहाल किसान हैं। अरबों रुपये का उत्पादन किसान करते हैं उनको उनके धान का समर्थन मूल्य तक नसीब नहीं होता और उद्योगपति हमारे ही धान को बेचकर करोड़ों कमा रहे हैं। देश के करोड़ों परिवारों की रोजी-रोटी खेती से चलती है। यही नहीं करोड़ों अन्य परिवार भी अपरोक्ष रूप से खेती पर आधारित कारोबार से जुड़े हैं। बावजूद इसके केंद्र और राज्य सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है।
उनसे जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ओडिशा में इसका फायदा किसानों को न के बराबर हुआ है क्योंकि अधिकतर किसानों तक यह योजना पहुंची ही नहीं| इस पर संवाददाता ने सवाल किया कि किसान संगठन इसके प्रति जनता को जागरूक क्यों नहीं करते तो उन्होंने कहा कि यह योजना सिर्फ लोन को कवर करती है और ओडिशा में लघु किसानों और मध्यम किसानों को इसका लाभ इसलिए नहीं मिलता क्योंकि बैंक उनको ऋण ही नहीं देता है। उन्होंने बताया कि ओडिशा के अधिकतर जिलों में फसल खराब होने के चलते किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन पटनायक सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है| इसलिए आज हम राष्ट्रीय राजधानी में आए हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करती है। ओडिशा के कटक से आए एक किसान प्रदीप कुमार ने बातचीत में बताया कि धान का मूल्य नहीं मिलना हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या है| केंद्र सरकार इस पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रही है| इसके चलते हम दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं|
 
उन्होंने कहा कि उनके यहां सबसे बड़ी समस्या स्टोरेज नहीं होने की है जिसके चलते उनको टमाटर, आलू समेत अन्य सब्जी औने-पौने दाम में बेचनी पड़ती है या फेंकनी पड़ती है| राज्य सरकार कहती है कि केंद्र स्टोरेज बनाने के लिए पैसा नहीं देता है (यह कहते कहते उनकी आँखे नम हो गई)। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि उनको किसानों की समस्या क्या पता होगी जब वो विदेश में पढ़े हैं| विदेश में सब चीज तैयार मिलती है| गरीबी देखी नहीं, हमारा दर्द क्या समझेंगे।
 
उन्होंने यह भी बताया कि अभी वो दिल्ली प्रदर्शन में शामिल होने के लिए गांव के महाजन से 5000 रुपये कर्ज लेकर आये हैं, इस उम्मीद से कि प्रधानमंत्री स्वयं गरीबी देखे हैं| उम्मीद है हमारी आवाज वो सुनेंगे। उल्लेखनीय है कि किसानों की स्थिति लगातार बदहाल होने के पीछे एक अहम कारण तकनीकी और प्रौद्योगिकी उन तक नहीं पहुंच पाना और मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित होना है।
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