नई दिल्ली, (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू मंगलवार को चाणक्यपुरी स्थित प्रवासी भारतीय केंद्र में तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम मात्र नहीं है बल्कि यह एक समग्र विज्ञान है। उन्होंने कहा कि योग करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शांति भी मिलती है| इसलिए कह सकते हैं कि योग मनुष्य को योग्य बनाता है।
‘जीवन कल्याण के लिए योग’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में 44 देशों के 69 प्रतिनिधि और अन्य विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने आयुष मंत्रालय की सम्मेलन पर आधारित एक स्मारिका का भी विमोचन किया।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि योग केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है बल्कि यह तो दुनिया के कल्याण की भावना लिए हुए है। उन्होंने कहा कि लोगों को आज डिप्रेशन, अस्थमा और कैंसर जैसी अनेक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसकी असल वजह आज की भागदौड़ भरी दिनचर्या है। वेंकैया ने कहा कि आधुनिक समाज में प्रदूषण के कारण अस्थमा की परेशानी आम हो गई है।
वेंकैया ने योग के महत्व को समझाते हुए कहा कि हजारों साल से हमारे पूर्वजों ने जो विरासत दी है उसे हमें कायम रखना है। उन्होंने कहा कि योग के प्राचीन विज्ञान को समझने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन महत्वपूर्ण है। ये कोई एक दिन का सम्मेलन नहीं है बल्कि यह प्रतिदिन व्यवहार में लाने वाली व्यवस्था है।
योग को देश विदेश में पहचान दिलाने के लिए योगगुरू बाबा रामदेव की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि बाबा रामदेव ने योग को घर-घर तक पहुंचाया है। उन्होंने बिना तंत्र-मंत्र का सहारा लिये केवल साधारण आम बोलचाल की भाषा में योग को ख्याति दिलाई है।
सम्मेलन में आयुष राज्यमंत्री श्रीपद यसो नाइक, आस्ट्रिया के योग गुरू स्वामी महेशवरानंद, बॉस्टन विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. क्रिश स्ट्रीटर, बेंगलुरु के एसवीवाईएएसए विश्वविद्यालय के चांसलर एचआर नागेन्द्र, आयुष मंत्रालय के सचिव सी.के. मिश्रा, विशेष सचिव विद्या राजेश कोटेचा भी मौजूद थे।