नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया सूचना और ऊर्जा के प्रवाह के महत्व को लेकर चिंतित है लेकिन उन्हें लगता है कि जल का प्रवाह इन दोनों जितना ही महत्वपूर्ण है।
बुधवार को पांचवें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जल अर्थव्यवस्था, परिस्थिति तंत्र और मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और संबंधित पर्यावरणीय समस्याओं को देखते हुए जल का मुद्दा और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
समावेशी विकास के लिए जल व ऊर्जा विषय पर आयोजित सप्ताह के शुरुआती सत्र में राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आज विश्व इस बात को लेकर बहस कर रहा है कि क्या जानकारी का प्रवाह ऊर्जा के प्रवाह से ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह एक अच्छा प्रश्न है लेकिन जल का प्रवाह अधिक महत्वपूर्ण है।’’
देश के जल संसाधनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है और दुनिया का 4 प्रतिशत जल संसाधन भारत में है। ऐसे में हर खेत को पानी और किसान की आय दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जल प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को अपने काम के लिए पानी की आवश्यकता रहती है और यह मांग आने वाले समय में बढ़ेगी| ऐसे में पानी के उचित ओर दोबारा उपयोग का महत्व बढ़ जाता है। देश में जल का असन्तुलित प्रवाह और उपलब्धता की समस्या है जिसे केवल बहुआयामी दृष्टिकोण से ही सुलझाया जा सकता है।
नदी जोड़ो परियोजना का जिक्र करते हुए जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ऐसी 30 परियोजनायें हैं जिसके लिये सरकार बड़ा फंड इकट्ठा करने पर विचार कर रही है। बुलेट ट्रेन की तरह 2 से 3 लाख करोड़ का फंड इकट्ठा किया जाए और इन परियोजना को प्राथमिकता से पूरा किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह काम देश की प्राथमिकता है और हम इसकी शुरुआत करना चाहते हैं।... अब हमको यह तय करना है कि यह परियोजनाएं शुरु हो जाएं हमने कोशिश करेंगे कि आने वाले 3 महीनों के अंदर प्रधानमंत्री के द्वारा इस कार्य की शुरुआत करने का हमने निर्णय लिया है।’’
इस दौरान उन्होंने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का विशेष जिक्र करते हुए कहा कि जब वह मंत्रालय में आये तब उन्होंने मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश का इसको लेकर जो आपत्तियां थी उनका समाधान किया और यह परियोजना अब जल्द ही शुरु होगी।
देश में बाढ़ एक बड़ी समस्या है। जिससे निपटने के लिए बाढ़ सुरक्षा दीवार बनाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नदियों में गार जमा हो रही है उसे कैसे हटाया जाये और उसका उपयोग बाढ़ सुरक्षा दीवार तैयार करने में हो इस पर विचार किया जा रहा है।
इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि देश में 22 प्रतिशत लोगों को स्वच्छ पानी के लिए 5 किमी के दायरे से बाहर जाना पड़ता है| 12 फीसदी को बिना ढंके हुए जल स्रोतों से पानी लेना पड़ता है और 4 प्रतिशत अन्य स्रोतों से पानी हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि अब हम इसे बदलने की तैयारी कर रहे हैं। हम एक पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर स्वच्छ जल उन तक पहुंचाने की दिशा में जा रहे हैं।
अपनी सरकार की प्रशंसा करते हुए उमा भारती ने कहा कि मोदी सरकार में ‘न नदी की जिंदगी से और न नारी की जिंदगी से खिलवाड़ हो सकता है’। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में सभी मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं जिससे काम सही समय पर पूरा हो रहा है। सभी मंत्रालय समय का पालन कर सभी रुकावटें हटाने, डेस्क की जगह प्रोजेक्ट क्लियर करने और सबसे वंचित को पहले लाभ पहुंचाने के प्रति प्रतिबद्धता से लगे हैं।
इस अवसर पर जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि बढ़ती आबादी के दवाब के चलते जल की गुणवत्ता और स्वछता प्रभावित हो रही है। उनकी सरकार राज्यों के साथ मिलकर जल के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दे रही है। वहीं मंत्रालय में अन्य राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन दिया।
भारत और 13 अन्य देशों के लगभग 1500 प्रतिनिधि इस पांच दिवसीय भारत जल सप्ताह के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में भाग ले रहे हैं। भारत जल सप्ताह-2017 की थीम है ‘समावेशी विकास के लिए जल एवं ऊर्जा’। भारत जल सप्ताह (आईडब्ल्यूडब्ल्यू) का पांचवां संस्करण एक बहु-विषयक सम्मेलन है।
उल्लेखनीय है कि भारत के जल संसाधनों पर केन्द्रित एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय वर्ष 2012 से ही एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के रूप में ‘भारत जल सप्ताह’ आयोजित करता रहा है। भारत जल सप्ताह के चार संस्करण अब तक वर्ष 2012, 2013, 2015 और वर्ष 2016 में आयोजित किये जा चुके हैं।