नई दिल्ली, (हि.स.)। लोकनायक जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और एक प्रखर राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए आज भी जाना जाता है। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है। इंदिरा को चुनौती देकर 1974 में सम्पूर्ण क्रांति की शुरूआत करने वाले जेपी का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था। आठ अक्तूबर, 1979 में उनके निधन के बाद 1999 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था।
लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर 'सम्पूर्ण क्रान्ति' हुई थी। सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। हालांकि इमरजेंसी के रोष में जनता पार्टी की सरकार बन तो गई थी मगर कुछ समय में ही जनता उससे त्रस्त हो गई। इंदिरा हटाओ देश बचाओ की जगह अब से नारे लगने लगे, इंदिरा लाओ देश बचाओ। 1980 के उपचुनाव में इंदिरा गांधी चिकमंगलूर से चुनाव जीत गईं।
जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिनगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। जेपी आंदोलन में रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता बहुत प्रसिद्ध हुई थी 'ये नखत अमा के बुझते हैं, सारा आकाश तुम्हारा है, दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।' राजद प्रमुख लालू प्रसाद, बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान या फिर बिहार उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, वरिष्ठ भाजपा सांसद आर के सिन्हा समेत आज के अधिकतर नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे। गौरतलब है कि सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान पांच जून के पहले छात्रों-युवकों की कुछ तात्कालिक मांगें थीं, जिन्हें कोई भी सरकार जिद न करती तो आसानी से मान सकती थी। लेकिन पांच जून को जे. पी. ने घोषणा की 'भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना' इत्यादि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, 'सम्पूर्ण क्रान्ति' आवश्यक है। सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था।