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मोदी और राहुल के दौरे से द्वारका विस सीट पर राजनीति गर्माई
By Deshwani | Publish Date: 7/10/2017 6:39:57 PM
मोदी और राहुल के दौरे से द्वारका विस सीट पर राजनीति गर्माई

 अहमदाबाद, (हि.स.)। द्वापर में जिस द्वारका पर भगवान श्रीकृष्ण ने राज किया उस द्वारका की विधानसभा सीट पर इस बार चुनाव से ऐन पहले हाई वोल्टेज मुकाबले की बिसात बिछ गई है। चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही यहां पी माहौल गर्मा गया है। पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने द्वारिकाधीश के दर्शन कर चुनावी आगाज किया और अाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन किये और बाद में द्वारका को कई तोहफे दिये। फिलहाल मौजूदा दौर में भाजपा के कब्जे वाली यह सीट समय-समय पर उतार-चढ़ाव के बीच हमेशा से लोगों के आकर्षण और कौतूहल का केंद्र रही है। 

द्वारका के वर्तमान विधायक पबुभा माणेक इस सीट के पर्याय माने जाते हैं। पिछले 6 बार से वह यहां से जीत दर्ज कर विधायक बनते आये हैं। देश और राज्य में अनेक बार परिस्थितियां बदलीं लेकिन उनको द्वारका से आज तक कोई हरा नहीं पाया। वैसे तो उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ कर यहाँ के पूर्व विधायक डीएल परमार को हराकर अपनी लम्बी पारी की शुरुआत की थी। उस समय कांग्रेस द्वारका सीट पर कल्यानपुर के उम्मीदवार को खड़ा करती थी इसलिए लोगों में काफी नाराजगी रहती थी। पबुभा माणेक मूलतः वांछु गांव के किसान थे और फिर कारोबार में भी काफी नाम कमाया। वह जब राजनीति में आये तो कांग्रेस पार्टी में अपनी अच्छी जगह बनाई और द्वारका सीट से हर बार विजेता बनते आये। पिछले विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस का दामन छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी की नैया को पार लगा दिया। अगले चुनाव में परिस्थितियां काफी चुनौतीपूर्ण होंगी, यह बात पबुभा माणेक को समझ आ गई है। इसलिए इस सीट पर अभी से कांग्रेस और भाजपा ने राजनीतिक पैतरे चलने शुरू कर दिये हैं। 
 
द्वारका देश का पवित्र धाम तो है ही लेकिन इस विधानसभा सीट पर होने वाली हार-जीत से पूरे देश में बीजेपी की नीतिगत साख भी जुड़ी हुई है। आज यहाँ पर प्रधानमंत्री द्वारा बेट द्वारका और ओखा के बीच बनने वाले सिग्नेचर ब्रिज के लिए भूमिपूजन किया गया। इससे पहले राहुल गांधी ने पिछले दिनों यहाँ पर कांग्रेस के भव्य अतीत के बारे में याद दिलाकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया।
 
यहाँ की हरेक घटना पर मतदाता भी अपनी नजर गड़ाए हुए हैं। अगर यहाँ के मतदाताओं पर नजर डालें तो पता चलता है इस सीट पर अहीर जाति के 55 हजार मतदाता हैं। इसके मद्देनजर कांग्रेस यहां से जातिगत समीकरणों का मूल्यांकन करते हुए ही अपना उम्मीदवार यहां उतारेगी। हालांकि कांग्रेस के अंदरूनी कलह की वजह से यह गणित पूरी तरह से टूट चुका है। दूसरी ओर डलवाडी और लघुमति कौम (अल्पसंख्यक) मतदाता लगभग 50 हजार हैं। द्वारका नगर पालिका, तालुका पंचायत और ओखा नगर पालिका में बीजेपी का वर्चस्व जबकि देवभूमि द्वारका की प्रथम बार जिला पंचायत में कांग्रेस की जीत ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। जिला पंचायत प्रमुख के चुनाव में जबर्दस्त राजनीतिक जोर आजमाइश होगी और बाद में द्वारका विधानसभा चुनाव में भी कांटे की राजनीति होगी, इस तरह के संकेत साफ मिल रहे हैं। 
 
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