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आरएसएस-वीएचपी मनाएगा हेमचन्द्र विक्रमादित्य की राज्याभिषेक जयंती
By Deshwani | Publish Date: 5/10/2017 5:21:17 PM
आरएसएस-वीएचपी मनाएगा हेमचन्द्र विक्रमादित्य की राज्याभिषेक जयंती

नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) दिल्ली सल्तनत के आखिरी हिंदू शासक हेमचन्द्र विक्रमादित्य की राज्याभिषेक स्मृति मनाने जा रहा है। आरएसएस के संगठन विश्व हिंदू परिषद ने आज गुरुवार को संयुक्त रूप से इसकी घोषणा की। 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बाल मुकुंद (अखिल भारतीय संघटन मंत्री, इतिहास संकलन समिती) ने गुरुवार को कहा कि शनिवार को गांधी स्मृति एवं समिति की तरफ से राजघाट पर कार्यक्रम करेगी। उन्होंने कहा कि पूर्ववती सरकारों ने इतिहास के साथ बहुत बड़ा छेड़छाड़ जानबूझकर हिन्दू संस्कृति को नीचा दिखाने के उद्देश्य से किया था। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इतिहास संकलन योजना स्कूली किताबों में हेमचंद्र को जगह देनी चाहिए। आरएसएस के एक सीनियर पदाधिकारी के मुताबिक, सात अक्टूबर को पुराने किले में आखिरी हिंदू शासक के राज्याभिषेक को याद किया जाएगा। सात अक्टूबर,1556 को हेमू का पुराने किले में ही राज्याभिषेक हुआ था। तब से वह हेम चंद्र विक्रमादित्य के नाम से जाने जाते हैं। 
बालमुकुंद ने कहा कि अब तक हमारे देश के बच्चों और युवाओं को भारतीय इतिहास के बारे में बहुत कम बताया गया है। अकबर के बारे में तो कई पाठ पढ़ाए जाते हैं लेकिन हेम चंद्र विक्रमादित्य जैसे हिंदू शासक के बारे में नहीं बताया जाता। आरएसएस पदाधिकारी ने कहा कि हेम चंद्र विक्रमादित्य का राज्याभिषेक स्मृति दिवस मनाकर हम युवाओं को यह बताने की कोशिश करेंगे कि 43 दिनों तक शासक रहे हेम चंद्र ने किस तरह वैदिक विधि से राज्याभिषेक करवाया था। भारतीय इतिहास को नकारने वाले लोग यह पढ़ाते हैं कि अकबर ने हेम चंद्र विक्रमादित्य को मारा था। तब से अकबर को महान अकबर कहकर महिमामंडन किया जाता है। जबकि हमें अपनी युवा पीढ़ी को यह बताना चाहिए कि किस तरह हवा में आया एक तीर हेमू की आंख में लगा और बेहोश हेमू की गर्दन काटने के लिए अकबर से उसके सेनापति बैरमखां ने कहा। उनका कहना है कि अकबर के हाथ कांप रहे थे और बैरमखां ने बेहोश हेमू की गर्दन काटकर ऐलान किया कि अकबर ने बहादुरी से हेमू को मार दिया है। उन्होंने कहा कि पानीपत का दूसरा युद्ध अकबर की कायरता को दिखाता है। आरएसएस प्रचारक ने कहा कि हेम चंद्र विक्रमादित्य की राज्याभिषेक स्मृति मनाकर कर युवाओं को भारतीय इतिहास की शौर्य गाथा से परिचित कराना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि हेमू का जन्म रेवाड़ी में हुआ था। उनके पिता पुरोहित थे। उस समय रेवाड़ी उत्तर भारत का एक ट्रेडिंग सेंटर था। हेमू जब 17 साल के थे, तो उन्होंने इराक और ईरान से बारूद मंगाकर शेरशाह सूरी की सेना को सप्लाई करना शुरू किया। इसी दौरान हेमू ने रेवाड़ी में पीतल की गोलियां बनाने का कारखाना भी लगाया और इसी व्यापार के साथ उनके संबंध शेरशाह सूरी के दरबार में हो गए। 1545 में शेरशाह सूरी की मौत के बाद उनका बेटा इस्लाम शाह उत्तर भारत का शासक बना लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से इस्लाम शाह 1550 में दिल्ली से ग्वालियर शिफ्ट हो गया और उसने हेमू को पंजाब का गवर्नर बना दिया। 1553 तक हेमू, सूरी सल्तनत की सेना के मुख्य सेनापति और प्रधानमंत्री बन गए। 23 जुलाई 1555 को मुगल सम्राट हुमायूं की मृत्यु के बाद हेमू को लगा कि वह मुगलों को परास्त कर सकते हैं। इसलिए हेमू ने अपनी सेना के साथ बिहार होते हुए दिल्ली की और कूच कर दिया। इस दौरान हेमू ने 22 लड़ाईयां लड़ीं और सभी जीतीं। सात अक्टूबर 1556 को दिल्ली के पुराने किले में हेमू का राज्याभिषेक हुआ और वह हेमू से सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य बन गए।
 
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