नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) ने केंद्र की मोदी सरकार की श्रमिक नीतियों के विरोध में नौ नवंबर से ग्यारह नवंबर तक संसद के बाहर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इंटक की इस मुहीम में अर्तराष्ट्रीय मजदूर संगठन भी सहयोग दे रहा है। दूसरी ओर भारतीय मजदूर संघ ने 17 नवम्बर को संसद का घेराव करने की घोषणा की है।
इंटक अध्यक्ष डॉ जी. संजीवा रेड्डी ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन कर कहा, ‘पिछले तीन साल में मोदी सरकार ने मजदूरों को सबसे ज्यादा बेरोजगार किया है। यह सरकार प्रतिवर्ष एक करोड़ रोजगार देने का वादा कर के आई थी लेकिन पिछले चार माह में 15 लाख रोजगार छीन लिए।
रेड्डी ने कहा, ‘नोटबंदी, जीएसटी और बढ़ती महंगाई ने मजदूरों की कमर तोड़ के रख दी है। उपर से सरकार श्रमिक विरोधी कानून बनाकर उद्योग जगत फायदा पहुंचाने के प्रयास में जुटी है। देश के औद्योगिक विकास के लिए पूंजी एवं श्रम दोनों का समान महत्व है। श्रम एवं श्रमिक के बारे में मानवीय संवेदना के आधार पर निर्णय लेने से ही सही औद्योगिक नीति का निर्माण होगा। देश की सरकार में लेबर रिफार्म निजीकरण एवं विनिवेश के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इन निर्णयों में श्रमिक संघों की भागीदारी की पूर्ण उपेक्षा हुई है।
रेड्डी ने कहा कि हम श्रम कानूनों पर एक तरफा संशोधन पर रोक लगाने, समान काम के लिए समान वेतन देने, सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण पर रोक लगाने, न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये प्रतिमाह करने जैसी प्रमुख मांगों को लेकर नौ नवंबर से ग्यारह नवंबर तक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे और संसद का घेराव करेंगे। उल्लेखनीय है की संघ समर्थित भारतीय मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ ने 17 नवंबर को संसद का घेराव करने की घोषणा की है।