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बीएमएस ने केंद्र द्वारा किये जा रहे श्रम कानूनों में बदलाव को बताया श्रमिक विरोधी
By Deshwani | Publish Date: 4/10/2017 6:05:12 PM नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने आज कहा है कि मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित औद्योगिक संबंध संहिता में शामिल किए जा रहे श्रम सुधारों से उद्योगों में अशांति फैलेगी| केंद्र को इस कानून को तुरंत वापस लेना चाहिए। बीएमएस ने बुधवार को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा बुलाई गई त्रिपक्षीय बैठक में भाग लेते हुए यह बात कही। बीएमएस के प्रतिनिधियों ने बैठक में कहा कि औद्योगिक संबंध संहिता में शामिल किए जा रहे कथित श्रम सुधार कानून पूर्णतः श्रमिक विरोधी हैं और इन्हेें संशोधित किया जाना आवश्यक है।
इस को संशोधन के बाद ही औद्योगिक संबंध संहिता को सदन में पेश किया जाना चाहिए। बैठक में भाग लेने वाले बीएमएस के अध्यक्ष साजी नारायण और महासचिव संगठन सचिव पवन कुमार ने कहा कि सरकार श्रम सुधाराें के नाम पर श्रमिकों को भ्रमित कर रही है। प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार श्रम नियमों में बदलाव किया जा रहा है। साजी नारायण ने कहा कि अर्थव्यवस्था की गिरावट रोकने के लिए श्रम से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की गतिविधियों के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने की भी मांग की है। श्रम मंत्रालय का इसमें तर्क है कि सभी 44 श्रम कानूनों में से प्रासंगिता खो चुके चार कानूनों को समाप्त कर दिया गया है। अब शेष 40 कानूनों में से 36 कानूनों को भी समाप्त करने पर कार्य शुरू हो गया है। सरकार देश में मात्र चार श्रम कानून रखना चाहती है।