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क्या पूछकर गलती की थी कि कश्मीर में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं : सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 4/10/2017 3:23:40 PM
क्या पूछकर गलती की थी कि कश्मीर में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में हिंसा से निपटने के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के हलफनामे पर आश्चर्य व्यक्त किया। अपने हलफनामे में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय पर सवाल खड़े किए हैं। चीफ जस्टिस ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछकर गलती की थी कि कश्मीर में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं ? मामले पर अगली सुनवाई अगले साल 18 जनवरी को होगी ।

 

पिछली सुनवाईयों के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो सीआरपीएफ और पुलिस बलों को पैलेट गन के इस्तेमाल पर दो हफ्ते का रोक लगाने का निर्देश दे सकती है बशर्ते कि उसे ये आश्वासन मिले की पत्थरबाजी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर बार एसोसिशन से कहा कि वे राज्य के लोगों से बात करें और उनकी राय से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएं ।

 

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन से कहा था कि वे उन लोगों का नाम दें जो केंद्र के साथ राज्य की वर्तमान स्थिति पर बात करें। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वे उन लोगों के साथ कोई बातचीत नहीं करेंगे जो अलगाववाद और आजादी की बात कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ये चाहती थी कि केंद्र हुर्रियत नेताओं के साथ बिना किसी शर्त के बात करे। केंद्र ने कहा था कि वो केवल उन्हीं लोगों से बात करेगी जिन्हें लोगों की ओर से कानूनी तौर पर अनुमति मिली हो।

 

इसके पहले दस अप्रैल को केंद्र सरकार ने कहा था कि पैलेट गन का इस्तेमाल हमारी प्राथमिकता की अंतिम सूची में है। तत्कालीन अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि किसी की मौत हो। उन्होंने कहा था कि हम पैलेट गन के इस्तेमाल के पहले एक गुप्त हथियार का इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि हम पैलेट गन के दूसरे विकल्पों जैसे रबड़ बुलेट, बदबूदार पानी, तीव्र आवाज वाले साधन इत्यादि के इस्तेमाल की संभावना तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में उपचुनाव में बहुत कम मतदान हुआ। उपचुनाव में सौ से ज्यादा सुरक्षा बल घायल हुए हैं।

 

पिछले 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो जम्मू-कश्मीर में हिंसा से निपटने के लिए पेलेट गन के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार करें ताकि दोनों पक्षों का बचाव हो सके। कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो दो हफ्ते में इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताएं ।

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका दायर कर कहा है कि घाटी में पैलेट गन का दुरुपयोग होता है। जिससे घाटी में कई जानें चली गईं । सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2016 में इस याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को इस संबंध में गठित विशेषज्ञों की टीम की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने पैलेट गन के विकल्प पर विचार करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। 

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