नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों और सीडब्ल्यूसी के बांध पुनरूद्धार प्रयासों में सहयोग देने के लिए आईआईटी रूड़की और एमएनएनआईटी इलाहाबाद के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये हैं।
जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण ने विश्व बैंक की सहायता से बांधों के पुनरूद्धार और सुधार परियोजना (डीआरआईबी) के जरिये बांधों की सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए कुछ चुने हुए प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को अपने साथ लिया है। इसमें परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाना, विश्लेषण की क्षमता बढ़ाना, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों का दौरा और इन संस्थानों के प्राध्यापक को बांध की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से अवगत कराना शामिल है।
सीडब्ल्यूसी आईआईटी मद्रास, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूरू, एनआईटी कालीकट और एनआईटी राउरकेला के साथ समझौता ज्ञापनों पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है, जिससे इन संस्थानों को विशेष उपकरण और सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए सहायता दी जा सके, ताकि उनकी परीक्षण और मॉडलिंग क्षमताएं बढ़ सकें। पिछले महीने सीडब्ल्यूसी ने मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग (एमपीडब्ल्यूआरडी) और यूजेवीएन लिमिटेड (यूजेवीएनएल), उत्तराखंड के साथ भूकंप संबंधी उपकरणों को स्थापित करने, इन प्रतिष्ठानों का प्रमाणीकरण, रिक्टर पैमाने पर 4.0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप के बाद उसकी रिपोर्ट और इन रिपोर्टो का राज्य और केन्द्रीय एजेंसियों के साथ आदान-प्रदान, आंकड़ों का संग्रहण, प्रोसेसिंग, निगरानी, विश्लेषण, विवेचना, सूचना के आदान-प्रदान के लिए राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा संभाल कर रखे गये भारतीय बांध भूकंप विज्ञान नेटवर्क के साथ राज्य बांध भूकंप विज्ञान नेटवर्क को जोड़ना और एक मजबूत राष्ट्रीय योजना के लिए वर्तमान भूकंप विज्ञान नेटवर्क को मजबूत बनाने के उद्देश्य से एमपीडब्ल्यूआरडी और यूजेवीएनएल को सहायता देने के लिए आईआईटी रूड़की के भूकंप इंजीनियरिंग विभाग के साथ समझौता ज्ञापनों को आगे बढ़ाया था।
डीआरआईपी सात राज्यों में ऐसे 225 बांधों के पुनरूद्धार के लिए सहायता दे रहा है, जो विभिन्न स्तरों पर संकट का सामना कर रहे हैं। इन बांधों के मालिकों को बांध की स्थितियों की जांच और पुनरूद्धार प्रयासों में सहायता के लिए तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। सरकार ने बांध सुरक्षा के क्षेत्रों में कुछ चुने हुए शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि वे क्षेत्र में जाकर जांच और सामग्री का परीक्षण कर सकें और बांध के पुनरूद्धार प्रयासों में बांध के मालिकों को प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं प्रदान कर सकें।