नई दिल्ली, (हि.स.)। जर्मन हाउस ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन दिल्ली में भारतीय संस्थानों के साथ मिलकर पानी पर एक अंतर्राष्ट्रीय जल संगोष्ठी कर रहा है। 05-06 अक्टूबर को होनेवाली इस जल-संगोष्ठी में जर्मन-भारत विशेषज्ञ जल-प्रबंधन पर हाल ही में हुई रिसर्च सामने रखेंगे।
इस जल-संगोष्ठी की शुरूआत बर्लिन की फ्रे यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. ब्रिगेटा शट करेंगी। जिसके बाद वॉटर सिक्योरिटी एंड गर्वेंनेंस सत्र में मैक्स प्लॉन्क इंस्टीट्यूट के डॉ. मैथियस हार्टविग, सुश्री लिडिया पावेल, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन; डॉ. शरचचंद्र लेले, अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एनवायरनमेंट (एटीआरई) और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर डॉ. सुधीर च्लू राजन होंगे।
इसी तरह शहरीकरण और सतत जल संसाधन प्रबंधन सत्र में प्रोफेसर डॉ. जोर्ग ड्रास, म्यूनिख की तकनीकी विश्वविद्यालय (टीएम); प्रोफेसर डॉ. हेरी-जान हेन्ड्रिक्स-फ्रैन्सन, फोर्सचेंग्सजेन्ट्रम जूलीच, प्रोफेसर डॉ. माइकल श्नाइडर, फ्रे यूनिवर्सिटी बर्लिन, प्रोफेसर मोहन कुमार, आईआईएससी बैंगलोर और प्रोफेसर डॉ. कार्ल श्नाइडर, कोलोन विश्वविद्यालय अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत करेंगे।
इसी शहरीकरण और सतत जल संसाधन प्रबंधन - उद्योग परिप्रेक्ष्य सत्र में डॉ. मारियस मोहर, फ्राउन्होफर आईजीबी, अंशुमन, जल संसाधन विभाग - ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई), आदी भजूले, सॉवरेन टेक इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड और भारतीय प्रतिनिधि, जर्मन, जल भागीदारी; मनीष गांधी, आयन एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड एवं सुश्री आनंद आर्यर, फ्रौनहोफ़र ऑफिस इंडिया होंगे।
इसी तरह जल-संगोष्ठी के दूसरे दिन, 06 अक्टूबर को हाइड्रो हाजार्स एवं बाढ़ पर होने वाले सत्र में डॉ. जॉर्ज लेन्ड्रो, म्यूनिख की तकनीकी विश्वविद्यालय (टीएम); प्रोफेसर डॉ मार्टिन वोस, फ्रे यूनिवर्सिटी बर्लिन; प्रोफेसर डॉ. जोशेन शैनज़, लाइबनिट्स इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉलॉजिकल शहरी और क्षेत्रीय विकास ड्रेस्डन; प्रोफेसर डॉ. धन्नी सी टी, आईआईटी दिल्ली और प्रोफेसर डॉ निकोला फॉहर, कील विश्वविद्यालय होंगे।
इसी तरह जल प्रदुषण को लेकर होने वाले सत्र में प्रो. डॉ. कार्ल श्नाइडर, कोलोन विश्वविद्यालय; प्रोफेसर डॉ. थॉमस ब्रेनबेक, हीडलबर्ग विश्वविद्यालय, प्रो. डॉ. ए एल रामनाथन, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय; प्रो. डॉ. प्रसेनजीत घोष, आईआईएससी बैंगलोर और डॉ. जोर्ज लेन्ड्रो, टेक्नीस यूनिवर्सिटी म्यूनचेन (टीएम) होंगे।
इसी तरह एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन के सत्र पर प्रोफेसर डॉ. निकोला फोहर, कील विश्वविद्यालय; डॉ. गिडो श्मिट, भारत-यूरोपीय संघ जल भागीदारी; प्रोफेसर डॉ भल्लुमुदी श्रीनिवासन मूर्त्ति, आईआईटी मद्रास; प्रो. डॉ. सुब्शिसा दत्ता - आईआईटी गुवाहाटी और प्रोफेसर डॉ. जयंत बांदोपाध्याय, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, कोलकाता होंगे।
पानी पर युवाओं की भागीदारी को लेकर होनेवाले सत्र में सुश्री थेरेसा फ्रॉमन, पीएचडी छात्र, फ्रीी यूनिवर्सिटी बर्लिन और सुश्री धर्मिधा चौहान, महिला हाउसिंग एसईयूए ट्रस्ट; सुश्री मार्सेला हंस, प्रशांत कचरा स्क्रीनिंग (एनजीओ); डॉ राहुल पेठम्बरन, आईआईएससी बैंगलोर; सुश्री तरीनी मेहता, कोलोन के पीएचडी विश्वविद्यालय; सुश्री विन्नारसी आर, आईआईटी दिल्ली; सुश्री नेहा खांडेकर, ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई); सुश्री एकशमी राठौर - फॉलिंग वॉटर विजेता और प्रोफेसर डॉ पी के जोशी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय होंगे।