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अगले लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का काम शुरूः वेदांती
By Deshwani | Publish Date: 2/10/2017 4:28:47 PM
अगले लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का काम शुरूः वेदांती

नई दिल्ली, हि.स.। अयोध्या आंदोलन से जुड़े रहे भाजपा के सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का कहना है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर सिर्फ और सिर्फ रामलला का मंदिर ही बन सकता है, इसके अलावा और कुछ नहीं। वेदांती को यह भी विश्वास है कि मोदी और योगी की जोड़ी 2019 के चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करा देगी। डॉ. वेदांती ने यह बात नई दिल्ली में खासतौर पर हिन्दुस्तान समाचार से बातचीत में कहीं। बड़ी बात यह है कि डॉ. रामविलास दास वेदांती दिल्ली में आयोध्या आंदोलन का समाधान निकालने के लिए आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के दौरान कही। यह गोलमेज आंदोलन पुणे की एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने आयोजित की थी। इस आयोजन की पृष्ठभूमि में यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ. विश्वनाथ डी कराड़ थे। वे वर्ल्ड पीस फाउंडेशन के सदस्य भी हैं।

यह फाउंडेशन एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है। इस प्रस्ताव के मसौदे के अनुसार अयोध्या में मुख्य विवादित स्थल पर तो राम मंदिर ही बने। लेकिन उसके आस पास सभी भारतीय धर्मों पंथों के भी पूजा स्थल बनें। इससे आपसी सौहार्द कायम होगा। पर इस बैठक में शामिल होने के बावजूद डॉ. वेदांती कहते हैं कि अयोध्या में तो सिर्फ राम का मंदिर ही बनेगा। अगर मुसलमानों को मस्जिद बनानी ही है तो किसी मुस्लिमबहुत स्थान पर बनाएँ। वह भी खुदा के नाम पर बनाए, किसी आक्रमणकारी मुगल के नाम पर कहीं भी कोई मस्जिद स्वीकार नहीं की जा सकती। डॉ. वेदांती कहते हैं कि शिया मुस्लिम वक्फ बोर्ड भी अब कह चुका है कि इस मस्जिद के स्थान पर शहनवां में मस्जिद बनाई जा सकती है, जहां मीर बाकी की मजार भी है। डॉ कराड के आयोजन और प्रस्ताव पर उनका कहना है कि इस तरह के प्रयासों से संवाद होता है। अब राम मंदिर एक बार फिर चर्चा के केन्द्र में आना चाहिए।

डॉ. रामविलास दास वेदांती कहते हैं कि अयोध्या राम की ही है, वहां राम मंदिर ही था। खतौनी में तो अयोध्या राजा दशरथ के पुत्र राम के नाम पर ही दर्ज है। एएसआई की खुदाई में भी वहां पुष्प कमल पर अष्टकोणीय शिव मंदिर के प्रमाण मिले हैं। इसीलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने भी माना कि वहां राम का मंदिर ही था। जहां तक उस भूमि के तीन भागों में विभाजन का सवाल है, तो उसे स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं। जब यह तय हो गया कि वहां राम जन्मभूमि है तो फिर उसका बंटवारा किस आधार पर किया गया। सिर्फ दावा जताने से भगवान की जमीन किसी और की नहीं हो जाती। डॉ. वेदांती का कहना है कि अब अयोध्या में कोई पक्ष नहीं रह गया है। सब एक मत हैं और सब चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर ही बने।

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