नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्र सरकार में पारदर्शिता और शुचिता सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरूआत में ही अपने मंत्रियों को संपत्ति का ब्यौरा देने को कहा था। हर वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद मंत्रियों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक रूप से घोषित करने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने बाकायदा इसके लिए सभी मंत्रियों को हर साल 31 अगस्त तक आय-व्यय का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे। इसके तहत प्रधानमंत्री ने स्वयं अपनी जानकारी सार्वजनिक कर दी, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के ही 75 सहयोगियों में से 55 आज तक अपनी संपत्तियों और देनदारियों का वार्षिक ब्यौरा पेश नहीं कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इनमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री अनंत गीते, कानून एवं न्याय एवं इलेक्ट्रॉनिक्स सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, रसायन एवं उर्वरक एवं संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार, जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, सूचना प्रसारण एवं कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री के साथ कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, रेल मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इस साल संपत्ति सार्वजनिक करने की समय सीमा (31 अगस्त) को गुजरे करीब एक माह होने वाला है। हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने इस बात का संज्ञान नहीं लिया। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कदम ताल करते हुए 20 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति के सालाना ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले मंत्रियों की सूची में मोदी कैबिनेट स्तर के 12 मंत्री है, स्वतंत्र प्रभार वाले कुल 11 राज्य मंत्रियों में 10 मंत्री, कुल 37 राज्य मंत्रियों में से 33 मंत्री शामिल हैं। अपना आय-व्यय का ब्यौरा पेश करने वालों में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा, नागरिक विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, इस्पात मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी प्रमुख हैं। इन सबने प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष अपनी संपत्तियों और देनदारियों का वार्षिक ब्योरा पेश किया है। इनके अलावा स्वतन्त्र प्रभार वाले मंत्रियों में मात्र प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने ही अपना ब्यौरा दिया है। वहीं राज्य मंत्रियों में कानून राज्यमंत्री पी. पी. चौधरी, विदेश राज्यमंत्री जनरल वी. के. सिंह, स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, वित्त राज्यमंत्री पी. राधाकृष्णन उन मंत्रियों में शामिल है जिन्होंने आचार संहिता का पालन करते हुए निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रधानमंत्री को अपनी संपत्ति और देनदारियों की जानकारी दी है। गौरतलब है कि मंत्रियो के लिए तय आचार संहिता के तहत केंद्र और राज्यों के सभी मंत्रियों को हर साल अपनी और परिजनों की संपत्तियों, व्यावसायिक हितों और देनदारियों का ब्यौरा देना होता है। केंद्रीय मंत्री प्रधानमंत्री को और राज्यों के मंत्री मुख्यमंत्री को आय-व्यय का विवरण देते हैं। कैबिनेट सचिव की ओर से केंद्रीय मंत्रियों को संपत्ति घोषणा की याद भी दिलाई जाती है। पर इस बार मोदी के मंत्रिमंडलीय सहयोगी जानकारी देने से बच रहे हैं और कैबिनेट सचिव भी चुप्पी साधे बैठे हैं।