नई दिल्ली। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को यहां कहा कि सरकार का ध्यान भारत को नावाचार हब बनाने की ओर केन्द्रीत है और इसी क्रम में बीआईआरएसी देश के बायोटेक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने में लगा है।
बायोटैक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘डीबीटी (बॉयोटैक्नोलॉजी विभाग) 100 अरब डॉलर की भारतीय जैव-अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है और अब इस क्षेत्र के अनुसंधान और उद्यमशील क्षमताओं का लाभ उठा रहा है ताकि लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ते उत्पाद तैयार किये जा सके।’’
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री वाईएस चौधरी ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में, जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास में भारत को वैश्व का नेतृत्वकर्ता बनाने की नींव रखी गई है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे नवोन्मेषकों और स्वदेशी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप बनाने के लिए प्रोत्साहन और सहायता मिले।
उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे प्रभावों पर बहुत गर्व महसूस करते हैं जो कि बीआईआरएसी ने इतने कम समय में तैयार किए हैं और यह इनोवेशन कॉनक्लेव इसका वसीयतनामा है।’’ इस अवसर पर दो पुस्तकों को जारी किया गया।
नई दिल्ली में दो दिवसीय इनोवेटर कॉन्क्लेव और जैव-अभिनव मेले का आयोजन किया है। इसमें करीब 300 आविष्कारों और स्टार्टअप, उद्योग, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भाग ले रहे हैं।