नयी दिल्ली । महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ दोबारा से मिलकर बिहार में नयी सरकार के गठन के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को बुधवार को दोहरा झटका लगा है। एक ओर चुनाव आयोग ने जहां जनता दल यूनाइटेट पर शरद यादव के दावे काे खारिज करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू को ही असली करार दिया है। वहीं दूसरी ओर राज्यसभा सचिवालय ने जदयू के बागी सांसदों शरद यादव और अली अनवर से स्पष्टीकरण मांगा है और पूछा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में क्यों न दोनों सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी जाएं। राज्यसभा ने दोनों सांसदों से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए जदयू के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि आयोग का निर्णय सराहनीय है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद अब शरद यादव की राज्यसभा की सदस्यता रद्द होने का रास्ता भी साफ हो गया है। राज्यसभा सचिवालय ने शरद यादव को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब देने कहा है। केसी त्यागी ने कहा कि शरद यादव ने राज्यसभा के सभापति से पहले ही यह कह रखा है कि जब तक चुनाव आयोग में मामला लंबित है, उनकी सदस्यता के मामले पर सुनवाई नहीं हो। अब जबकि चुनाव आयोग का फैसला आ गया है, तो स्पष्ट है कि उनकी सदस्यता भी जायेगी।
केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस व राजद के सहयोग से कुछ नेता भ्रांति फैलाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आयोग के निर्णय से यह साफ हो जाता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरी पार्टी एकजुट है। गौर हो कि जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को उनकी सदस्यता रद्द करने का ज्ञापन दिया था, जिसके आलोक में सचिवालय ने यह कदम उठाया है।
निर्वाचन आयोग ने जदयू के चुनाव चिह्न पर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव गुट के दावे पर संज्ञान नहीं लिया है। आयोग के मुताबिक शरद यादव गुट द्वारा गत 25 अगस्त को पेश दावे में पर्याप्त दस्तावेजों के अभाव को संज्ञान नहीं लेने का मुख्य आधार है। शरद यादव ने जदयू के अधिकांश पदाधिकारियों के समर्थन का दावा करते हुए पार्टी का चुनाव चिह्न उनके गुट को देने की आयोग से मांग की थी। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले दूसरे गुट ने सभी विधायकों, विधान पार्षदों और सांसदों सहित अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों और पार्टी पदाधिकारियों के समर्थन का शपथपत्र आयोग के समक्ष पेश करते हुए जदयू के चुनाव चिह्न पर अपना अधिकार जताया है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार यादव गुट अभी भी अपने दावे को प्रभावी रूप से पेश करने के लिये पर्याप्त दस्तावेजों के साथ एक अन्य प्रार्थना पत्र पेश करने के लिये स्वतंत्र है। इस बारे में यादव गुट से जुड़े पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण श्रीवास्तव ने आयोग के इस फैसले से अनभिज्ञता जतायी. श्रीवास्तव ने कहा कि आयोग से हमने पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए यह पूछा था कि इसकी पुष्टि के लिये उन्हें क्या दस्तावेज पेश करने होंगे। आयोग इस बाबत जो भी दस्तावेजों की जरूरत बतायेगा उसे हम शीघ्र ही पेश कर देंगे।