नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भिक्षावृत्ति पर कानून और पुनर्वास की मांग की है। इसी सिलसिले में उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर विस्तृत कानून लाने का आग्रह किया है।
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा, ‘भिक्षावृत्ति पर एक ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जो समाज के संवेदनशील वर्ग के पुनर्वास और सुधार पर जोर डालता हो, न कि इसे गैर कानूनी मानता हो।‘
गहलोत को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि पहले से ही संवेदनशील वर्ग को इसके लिए अपराधी घोषित करने की बजाए कानून में उसके पुनर्वास और सुधार पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘क्योंकि बच्चों को उनके परिवार से अलग करके नहीं देखा जा सकता है, तरीका यह होना चाहिए कि पूरे परिवार का पुनर्वास किया जाए और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए।‘
मेनका गांधी ने हाल ही में लागू हुए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 का हवाला देते हुए कहा कि यह भीख मांगने वाले बच्चों को ‘देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों’ के तौर पर चिह्नित करता है और बाल कल्याण समितियों के माध्यम से उनके पुनर्वास और सुधार की व्यवस्था करता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि किसी भी केंद्रीय कानून के अभाव में बम्बई भिक्षावृत्ति अधिनियम, 1959 को वर्ष 1960 में दिल्ली में लागू कर दिया गया था जो भिक्षावृत्ति को गैर कानूनी घोषित करता है।