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स्वाइन फ्लू का कहर: देश में इस साल 200 से अधिक मौतें
By Deshwani | Publish Date: 19/8/2017 7:01:54 PM
स्वाइन फ्लू का कहर: देश में इस साल 200 से अधिक मौतें

नई दिल्ली,  (हि.स.)। देश के विभिन्न हिस्सों में इस साल स्वाइन फ्लू का कहर पिछले सालों की तुलना में कुछ ज्यादा देखने को मिल रहा है। विभिन्न राज्यों में इस साल स्वाइन फ्लू से अब तक 200 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। दिल्ली के अलावा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और कर्नाटक आदि राज्यों में स्वाइन फ्लू के मरीज बड़ी संख्या में पाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी भी इससे अछूता नहीं है, जहां स्वाइन फ्लू से एक व्यक्ति की मौत हो गई है और चार मरीजों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। 

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के अनुसार दिल्ली में स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि इस साल अब तक जनवरी से 9 अगस्त तक स्वाइन फ्लू के कुल 889 मामले रिपोर्ट हुए जिनमें से दिल्ली के दो लोगों की इस बीमारी से मौत हुई है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस डॉ. जगदीश प्रसाद ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए, कुल 57 हजार टेमी फ्लू टेबलेट उपलब्ध हैं जो दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई जा रही हैं। 
राम मनोहर लोहिया(आरएमएल) अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ए.के. गडपाइले का कहना है कि आरएमएल में अब तक स्वाइन फ्लू के 134 केस सामने आ चुके हैं और हमने सभी को स्वस्थ करके अस्पताल से घर भेज दिया। अगर संदिग्ध मामलों की बात की जाए तो आरएमएल में 647 संदिग्ध मामले आये थे।
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग स्वाइन फ्लू पर आंकड़े देने में आनाकानी करता नजर आ रहा। इसका कारण है कि इसके पहले भी कई बार एम्स के दिये आधिकारिक आकड़ों में अंतर पाया गया था। इसके बाद से एम्स ने आंकड़े पेश करने से बचना शुरू कर दिया है। 
एम्स में आये कुछ मरीज व्यस्था से संतुष्ट मिले तो कुछ का कहना है कि जैसा सरकार दावा करती है वैसी व्यवस्था हमको नहीं मिल पाती है। एम्स में आये एक मरीज मेराज अहमद कहते हैं कि मेरी 13 साल की बेटी को एक हफ्ते से ज्यादा समय से बुखार और जुकाम की समस्या है जिसके बाद मैं यहां आया हूं । अभी तक उसे उचित उपचार नहीं मिल पाया है। 
एम्स में अपनी पत्नी को लेकर इलाज कराने आये विनोद का कहना है कि उन्होंने ऑनलाइन अपना पंजीयन किया था लेकिन अभी स्वाइन फ्लू की जांच नही हो पायी है। पता चला है कि अस्पताल में बिस्तर की बड़ी मारामारी है जो मेरी चिंता बढ़ा रही है।
दिल्ली सरकार के अनुसार स्वाइन फ्लू से सिर्फ दो मौतें हुईं जबकि एम्स के आंकड़ों के मुताबिक कुल आठ लोग इस बीमारी का शिकार बने। केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जेपी नड्डा ने वेक्‍टर जनित बीमारियों (डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और स्वाइन फ्लू) की रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार को दिल्‍ली में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की। इसमें दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, केंद्र सरकार के अस्पतालों के चिकित्‍सा अधीक्षक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार, आईसीएमआर, एनसीडीसी और एनवीबीडीसीपी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रतिदिन स्वाइन फ्लू के नये मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। प्रदेशभर में अब तक 1206 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
उत्तर प्रदेश के 50 जिलों में शुक्रवार को भी 115 नये मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को 68 नये मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
संचारी रोग निदेशक डा. एच.के. अग्रवाल के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जनवरी से अब तक 1206 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई हैं। इनमें से सबसे अधिक संख्या राजधानी लखनऊ की है। लखनऊ में अब तक 670 मरीज मिले हैं। इनमें से सात मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि प्रदेशभर में 36 मरीजों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है।
प्रदेश के गाजियाबाद जिले में अब तक 74, गौतमबुद्धनगर में 49, मेरठ में 65, कानुपर नगर में 22, गोण्डा में 15, गोरखपुर में 26, बाराबंकी में 12, आगरा में 21, बहराइच में 11, सीतापुर में 9, रायबरेली में 15, इलाहाबाद में 15 और बरेली में 10 मरीजों में स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव लक्षण पाए गए हैं।
इसके अलावा हापुड़, फैजाबाद, उन्नाव और वाराणसी में स्वाइन फ्लू के सात-सात मरीज मिले हैं। इन जिलों के अलावा अन्य जिलों में भी चार-चार, पांच-पांच मरीज अन्य जिलों में मिले हैं। उत्तर प्रदेश के 50 जिलों को मिलाकर 1206 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। प्रतिदिन उत्तर प्रदेश में 100 से अधिक नये मरीज मिल रहे हैं।
संचारी रोग निदेशक डा. एच के अग्रवाल ने बताया कि स्वाइन फ्लू से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी मुहैया कराने के लिए राज्य मुख्यालय पर एक काल सेंटर भी शुरू किया गया है। यह कॉल सेंटर 24 घंटे संचालित होता है। टोल फ्री नंबर 18001805145 पर कॉल कर कोई भी व्यक्ति स्वाइन फ्लू से जुड़ी जरुरी जानकारी ले सकता है।
इसके अलावा प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में 10 बेड वाले आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। इसके अलावा केजीएमयू, पीजीआई, राम मनोहर लोहिया इंस्टीटयूट और स्वास्थ्य भवन की स्टेट लैब में स्वाइन फ्लू की जांच फ्री में कराई जा रही है।
जिला अस्पतालों में बुखार के मरीजों के लिए अलग से हेल्प डेस्क बनायी गयी है। अस्पतालों में बुखार के अधिकांश मरीज आने और बुखार के मरीजों को आसानी से चिकित्सकीय उपचार दिलाने के लिए यह व्यवस्था की गयी है। लखनऊ के मेडिकल कालेज,लोहिया,सिविल और बलरामपुर अस्पताल में भी हेल्प डेस्क बनायी गयी है।
इसके अलावा प्रत्येक जिले में दो रैपिड रिस्पान्स टीम का गठन किया गया है। जो स्वाइन फ्लू के मरीज मिलते ही तत्काल उसके घर जाकर मरीज एवं उसके सम्पर्क में रहने वाले परिजनों को आवश्यक औषधि उपलब्ध कराते हुए परामर्श देते हैं। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग, यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन मिलकर एक सेन्ट्रल मानीटरिंग टीम बनायी गयी है। यह टीम प्रदेशभर में सीएचसी पीएचसी स्तर पर बनी टीमों की निगरानी करेगी। इसके अलावा स्कूलों में स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर स्वच्छता के बारे में बच्चों को जागरूक कर रही है।
लखनऊ में स्वाइन फ्लू के सबसे अधिक मरीज मिले हैं। इसलिए लखनऊ जिले में आने वाले सभी सीएचसी,पीएचसी और शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं।
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से अब तक 14 मरीजों की मौत हो चुकी है और 75 मामलों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने के कारण मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने में देरी हो रही है। शुक्रवार को भी एक ऐसा ही मामला सामने आया। उतराखंड चिन्यालीसौढ़ की चार वर्षीय जाह्नवी की रिपोर्ट में शुक्रवार को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई जबकि बीमारी से ग्रस्त जाह्नवी की 9 अगस्त को ही मौत हो चुकी है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके है जिनमें रिपोर्ट आने से हफ्तों पहले ही मरीज अपनी जान गवां चुके थे। मौजूदा स्थिति की बात करें तो अभी भी 28 मामलों में रिपोर्ट आना बाकी है।
प्रदेश में इस साल जनवरी से अब तक 208 संदिग्ध मरीजों के सैंपल लिए गए हैं। इनमें पॉजिटिव मामलों की संख्या 75 तक पहुंच गई है। स्वाइन फ्लू को लेकर विभाग भले ही सक्रियता के दावे कर रहा है, मगर लचर व्यवस्था के चलते मरीजों की जान सांसत में है। जिन संदिग्ध मरीजों के सैंपल प्रारंभिक लक्षण के बाद जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, कई दिन बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही। ऐसे में तुक्के में मरीज का उपचार चल रहा है। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां स्वाइन फ्लू की पुष्टि मरीज की मौत के बाद हुई। एचआईएचटी में अपनी परिचित का इलाज कर रहे सहारनपुर निवासी अभिषेक ने बताया कि चार अगस्त को उन्होंने 44 वर्षीय शालिनी अग्रवाल को अस्पताल में भर्ती कराया। लक्षण को देखते हुए अस्पताल द्वारा इलाज पहले शुरू कर दिया गया लेकिन रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि 10 अगस्त को हुई। समय रहते रिपोर्ट मिलने से इलाज और बेहतर हो सकता है। रिपोर्ट की देरी मरीजों के लिए मुसीबत बन रही है। हालांकि सीएमओ डॉ. टीसी पंत के मुताबिक स्वास्थ्य महकमा स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए तैयार है। दवाइयां भी उपलब्ध हैं। निजी व सरकारी अस्पतालों को मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर तुरंत सूचना देने को कहा गया है।
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू जांच की एकमात्र लैब श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में है। यहां पर कुछ ही घंटों में स्वाइन फ्लू परीक्षण की रिपोर्ट तैयार हो जाती है। एनसीडीसी, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त इस लैब में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। महंत इंदरेश अस्पताल खुद सरकार अस्पतालों में आए रहे संदिग्ध मामलों में स्वाइन फ्लू के सैंपल जांचने के लिए तैयार है। इस बारे में अस्पताल द्वारा पहल भी की गई लेकिन इसके बावजदू सैंपल्स को जांच के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है। जिस कारण देरी हो रही है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि स्वाइन फ्लू की जांच संबंधित एक एमओयू प्रस्ताव बनाकर हमने स्वास्थ्य विभाग को भेजा था, उसका कोई जवाब अभी तक नहीं मिला है। हमारा ध्येय है कि आम जनता को समय से रिपोर्ट मिल जाए ताकि उसका ट्रीटमेंट समय से शुरू हो सके।
मुख्य चिकित्साधिकारी, डॉ. तारा चंद पंत का कहना है कि जांच के लिए नमूने दिल्ली भेजे जाते हैं जिसकी रिपोर्ट आने में वक्त लगता है। हालांकि इस बीच मरीज का उपचार शुरू कर दिया जाता है।
स्वाइन फ्लू के देहरादून जिले के नोडल अधिकारी डा. पुनीत चंद्रा का कहना है कि अभी तक 75 मामले स्वाइन फ्लू के सामने आ चुके हैं। इस समय 26 मरीज भर्ती हैं। मरीजों का इलाज अलग-अलग अस्पताल में चल रहा है।
राजस्थान में पिछले आठ महीने के दौरान स्वाइन फ्लू से 64 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी अवधि के दौरान स्वाइन फ्लू के 569 मामले पॉजिटिव पाये गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में गुरुवार को एक ही दिन में 17 मामले पॉजिटिव आए हैं। अगस्त माह में ही प्रदेश में स्वाइन फ्लू के 164 मरीज सामने आए हैं जिनमें से नौ की मौत हो चुकी है।
उदयपुर की निवासी स्वाइन फ्लू पीड़ित महिला का शुक्रवार को अहमदाबाद में निधन हो गया। वहीं शहर के एक ही विद्यालय के 6 कर्मचारियों के स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाए जाने से चिकित्सा विभाग सकते में आ गया। निजी विद्यालय संत तेरेसा के कर्मचारी स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद विद्यालय के सभी कर्मचारियों और विद्यार्थियों को टेमी फ्लू पिलाई गई। शहर में स्वाइन फ्लू के अब तक 44 मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में एक जनवरी से 17 अगस्त तक कुल 2536 सैम्पल का परीक्षण किया गया। इसमें 569 सैम्पल पॉजिटिव पाए गए और 64 लोगों की मौत हुई है। 
प्रदेश के बाहर के 21 मरीजों के सैम्पल पॉजिटिव पाए गए और इनमें 4 लोगों की मौत हुई है। राजधानी जयपुर में ही 01 जनवरी से 17 अगस्त तक 257 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं और 16 मौतों की पुष्टि सरकार ने की है।
गौरतलब है कि राजस्थान में वर्ष 2015 में भी स्वाइन फ्लू ने कहर बरपाया था और 6859 स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव मरीज सामने आए थे। इनमें से 472 लोगों की मौत हुई थी।
राज्य सरकार ने स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग को विशेष दिशा निर्देश दिए है। स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए प्रदेश के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में विशेष इंतजाम किए गए हैं। बावजूद इसके फ्लू पर लगाम नहीं लग पा रही है। 
छत्तीसगढ़ में एक महीने के भीतर स्वाइन फ्लू से 7 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले बिलासपुर जिले में अब तक तीन लोगों की जान गई है। वहीं एक—एक मरीज की मौत दुर्ग और दंतेवाड़ा में हुई है। स्वाइन फ्लू से दो मौत रायपुर में हुई है। सूबे में जिस तेजी से स्वाइन फ्लू पैर पसार रहा है, उस तेजी से इससे निपटने की कोई कारगर व्यवस्था प्रशासन ने नहीं की है। इस खतरनाक वायरस के संबंध में लोगों को जागरूक करने के लिए कोई खास पहल नहीं किए जाने से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और जब तक बीमारी की पुष्टि होती तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। 
राजधानी रायपुर के अलावा अन्य जिलों में भी संदिग्ध मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यही वजह है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में रोजाना स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और संदिग्ध मरीज मिलते ही उनकी जांच की व्यवस्था कराई जा रही है। हालांकि गैर सरकारी अस्पतालों में संदिग्ध मरीजों की संख्या अधिक है। रायपुर के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर गिरीश अग्रवाल के मुताबिक उनके अस्पताल में स्वाइन फ्लू के 5 मरीजों का इलाज चल रहा है और इनमें से 3 की हालत काफी नाजुक है। मरीजों में भिलाई का एक चिकित्सक भी शामिल है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो सालों में स्वाइन फ्लू वायरस की वजह से प्रदेश में 26 लोगों की मौत हो चुकी है। 
इस बीच देशभर में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। कुछ जिलों को छोड़कर इस अलर्ट का ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है। 
कोरिया जिले में स्वाइन फ्लू से बचने के लिए नागरिकों को सतर्क रहने और इससे बचाव के लिए जरूरी उपाय करने के बारे में जागरुक किया गया है। लोगों को बताया जा रहा है कि इस बीमारी से घबराने की जरूरत नही है और इसका उपचार संभव है। वहीं, दंतेवाड़ा जिले की लौह नगरी किरंदुल में पिछले दिनों स्वाइन फ्लू से हुई एक की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग का अमला अब क्षेत्र के सभी गांवों में पहुंचकर स्वाइन फ्लू की रोकथाम की कोशिशों में लग गया है।
दंतेवाड़ा जिला सहित पड़ोसी जिलों में भी सावधानी के उपाय इसकी रोकथाम के लिए किये जा रहे हैं। दंतेवाड़ा के जिलाधीश ने बताया कि स्वाइन फ्लू को लेकर प्रशासन पूरी तरह सजग है। समूचे जिले में लोगों को जागरूकता शिविर लगाकर स्वाइन फ्लू का टीकाकरण कराने की योजनानुसार कार्य चल रहा है।
मध्य प्रदेश में डेढ़ महीने के दौरान अब तक विभिन्न अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के 11 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिनमें चार राजधानी भोपाल के हैं। भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती एक मरीज की तो शुक्रवार को ही मौत हुई है, जबकि तीन नए मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। प्रदेश में एक जुलाई से अब तक करीब 40 मरीजों की जांच में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाया गया है।
प्रदेश में हर-दिन करीब 15 से 20 संदिग्ध मरीजों के सैम्पल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, जिनमें अब तक करीब 40 मरीजों में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया है। इनमें से कुछ मरीजों को सही उपचार मिल जाने के कारण उनकी हालत में सुधार हुआ और वे अपने घर पहुंच गए, जबकि अधिकांश अभी विभिन्न अस्पतालों में उपचाररत हैं। वहीं, रोजाना नए मामले भी सामने आ रहे हैं।
पंजाब में स्वाइन फ्लू लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष अबतक 15 लोगों की स्वाइन फ्लू के कारण मौत हो चुकी है। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी लुधियाना में यह बीमारी सबसे अधिक पांव पसार रही है। पिछले साल भी सूबे में स्वाइन फ्लू ने अपना कहर बरपाया था। सरकारी रिकार्ड के अनुसार पंजाब में पिछले साल स्वाइन फ्लू के कारण 61 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब पांच सौ लोगों में स्वाइन फ्लू के संकेत मिले थे।
स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार राज्य में अब तक स्वाइन फ्लू से 15 लोगों की मौत हो चुकी है। समूचे राज्य में स्वाइन फ्लू के करीब 278 संदिग्ध मामले दर्ज हुए और उनमें से 75 मामले सकारात्मक पाए गए।
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के केसों को देखते हुए सरकार भी सतर्क हो गई है। 
पंजाब सरकार ने स्वाइन फ्लू (एच-एन 1) के मामलों को काबू करने के लिए सभी सिविल सर्जनों को फ्लू कार्नर स्थापित करने के आदेश दिए हैं। 
स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने बताया कि सूबे में पिछले कुछ दिनों से स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मामले रिपोर्ट किये जा रहे हैं जो आमतौर पर गर्मी के मौसम में पाए नहीं जाते थे। 
महिंद्रा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के मामलों के इलाज के लिए सरकारी मेडिकल कालेजों और सरकारी अस्पतालों में विशेष 277 बिस्तर का और निजी अस्पतालों में 268 बिस्तरों का प्रबंध किया गया है। उन्होंने कहा कि जिलों में संदिग्ध मरीजों को गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए नोडल अफसरों की जिम्मेदारी निश्चित की गई है और रैपिड रिसपोंस टीमें गठित की गई है जो संदिग्ध मामलों की सूचना मिलने पर तुरंत कार्यवाही करेंगी। 
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पी.जी.आई. चंडीगढ़ की वीरोलोजी लैब स्वाइन फ्लू के टेस्ट के लिए नोडल लैब निश्चित की गई है और संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर पी.जी.आई. के अलावा जी.ए.सी. अमृतसर और जी.एम.सी. पटियाला में भी भेजे जाते हैं।
हरियाणा के रोहतक स्थित पीजीआई में स्वाइन फ्लू से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। यहां पर स्वाइन फ्लू के चार संदिग्ध मरीज भर्ती है, जिनमें से दो को आईसीयू में रखा गया है। डाक्टरों का कहना है कि सैंपल जांच के लिए भेजे गए है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि मरीज स्वाइन फ्लू से पीडि़त है या नहीं। 
दो मरीजों की मौतों के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग स्वाइन फ्लू की जांच के लिए गांव स्तर पर घर-घर सर्वे करवाकर मरीजों की पहचान करने में जुटा है। ताकि जल्द इलाज करवाया जा सके और मेडिकल कॉलेज में सभी सुविधाएं उपलब्ध की जाएं। स्वास्थ्य विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को कृमि नियंत्रण दवाइयां खिलाई जाएंगी।
पीजीआई में दस दिन पहले एक महिला व एक युवक को स्वाइन फ्लू के लक्षणों के चलते भर्ती कराया गया था। मरीजों की जांच की गई तो स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। हालांकि इलाज के दौरान महिला मरीज की मौत हो गई। इसके बाद तीन अन्य मरीज भी स्वाइन फ्लू के लक्षणों के चलते पीजीआई में भर्ती किये गए। इनमें उतराखंड निवासी एक मरीज की मौत हो गई। स्वाइन फ्लू से दो मरीजों की मौत को लेकर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पीजीआई प्रबंधन से रिपोर्ट तलब की और जरुरी इंतजाम करने के निर्देश दिये। इसके बाद पीजीआई ने स्वाइन फ्लू मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया और अलग से डाक्टरों की एक टीम गठित की है। पीजीआई के कुलपति ओपी कालरा का कहना है की स्वाइन फ्लू से घबराने की जरुरत नहीं है, पीजीआई में बीमारी से निपटने के लिए तमाम इंतजाम किये है।
हिमाचल प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू से 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से सबसे अधिक मौतें प्रदेश के सबसे बड़े कांगड़ा जिला में हुई है।
कांगड़ा जिला में अभी तक स्वाइन फ्लू से 4 लोगों की मौत हुई है, जबकि हमीरपुर और शिमला जिलों में स्वाइन फ्लू से दो-दो लोगों ने दम तोड़ा है। एक-एक मौत चंबा और सिरमौर जिला में हुई है।
राज्य रोग निगरानी अधिकारी डा. सोनम नेगी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि प्रदेश में जनवरी से लेकर अभी तक स्वाइन फ्लू के 428 टेस्ट किए गए हैं। इसमें 51 टेस्ट पॉजिटव आए हैं। कांगड़ा जिला में स्वाइनफ्लू के सबसे अधिक 17 पॉजिटव मामले सामने आए हैं।
प्रदेश में वर्ष 2016 में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या 5 थी। तब इसके 14 पॉजिटव मामले सामने आए थे। वहीं 2015 में स्वाइन फ्लू से हिमाचल में सबसे अधिक 27 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 123 पॉजिटव मामले सामने आए थे।
ओडिशा में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या 13 हो गई है। साथ ही इस बीमारी में पॉजिटिव पाये जाने वाले मरीजों की संख्या 204 हो चुकी है। ये मरीज राज्य के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। स्वाइन फ्लू का इलाज करने वाले दो डाक्टर भी स्वाइन फ्लू के चपेट में आ जाने के कारण राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इन मरीजों का इलाज करने वाले डाक्टर व नर्स व अन्य स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को वैक्सीन उपलब्ध करा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ओडिशा में स्वाइन फ्लू के मामले अन्य राज्यों से काफी कम हैं। गुरुवार रात तक राज्य के विभिन्न अस्पतालों में 52 सैंपल टेस्ट किये गये थे जिसमें से 20 मामले पॉजिटिव आये हैं। उन्होंने बताया कि अधिकांश मामले खोर्धा जिले से हैं। गुरुवार के 20 मामले में से 10 खोर्धा जिले के हैं जबकि कटक से 02, जाजपुर से 02, बौद, बरगढ़, बलांगीर, सुंदरगढ़ व कोरापुट जिले से एक – एक मरीज में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाया गया है। अभी तक राज्य में कुल 589 सैंपलों का परीक्षण किया गया है जिसमें से 204 सैंपल पॉजिटिव पाये गये हैं।
स्वाइन फ्लू की स्थिति को लेकर राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री प्रताप जेना ने कहा कि स्वाइन फ्लू को लेकर चिंता का कोई कारण नहीं है। स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी की हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य के तीन सरकारी मेडिकल कालेज कटक से एससीबी मेडिकल कालेज व अस्पताल, ब्रह्मपुर के एमकेसीजी मेडिकल कालेज व अस्पताल तथा संबलपुर के वीएसएस मेडिकल कालेज व अस्पताल के साथ-साथ भुवनेश्वर के कैपिटल अस्पताल में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाने के साथ-साथ अन्य व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही राज्य के समस्त जिला मुख्यालय स्थित अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू को लेकर पूरी व्यवस्था की गई है। इन सभी स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में दवाई उपलब्ध है।
जेना ने कहा कि विभिन्न निजी अस्पतालों को भी स्वाइन फ्लू को लेकर गाइड लाइन भेजी गई है। इन अस्पताल प्रशासन से कहा गया है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के बारे में जानकारी स्वास्थ्य विभाग को प्रतिदिन प्रदान करें।
स्वाइन फ्लू का इलाज करने वाले दो डाक्टरों में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाये जाने के कारण डाक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
कर्नाटक के सरकारी अस्पतालों में जनवरी से जुलाई 2017 तक स्वाइन फ्लू के 2,941 केस दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इनमें से 15 लोगों की मौत हो गई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ये आंकड़े सरकारी अस्पतालों के हैं। इसके अलावा राज्य में कुल 5,591 लोग डेंगू बुखार से प्रभावित हैं। डेंगू के कारण राज्य में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। 
 
 
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