नई दिल्ली, (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषियों को रिहा करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मल्टी डिसिप्लीनरी मानिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) की जांच के बारे में स्टेटस रिपोर्ट मांगा है। कोर्ट ने बम बनाने में बड़ी साजिश रचने के एंगल पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है ।
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक दोषी पेरारिवलन से पूछा कि आप केवल साजिश के एंगल यानि बेल्ट बम के निर्माण और उसकी डिलीवरी की मांग कर रहे हैं, हम उस पर भी विचार करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगा। पेरारिवलन ने कल एमडीएमए की जांच में कई गड़बड़ियों से संबंधित रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी।
एफआईआर के मुताबिक पेरारिवलन ने 9 वोल्ट की दो बैटरियां बम बनाने के लिए दी थीं। याचिकाकर्ता के वकील पीराबु सुब्रमण्यम ने कहा कि एमडीएमए की जांच उसके खिलाफ लगे आरोपों पर स्थिति स्पष्ट कर देगा। कोर्ट ने कहा कि बम बनाने में साजिश के एंगल का मामला याचिकाकर्ता के लिए दोबारा केस खोल सकता है।
पिछले 10 अगस्त को जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों की रिहाई की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया था। राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषी हैं जिनके नाम हैं पेरारिवलन, मुरुगन, शांतन, रॉबर्ड पेस,नलिनी, जयकुमार और रविचंद्रन । इनमें नलिनी को फांसी की सजा दी गई थी लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उसे उम्रकैद में बदल दिया। नलिनी के अलावा चार अन्य को भी फांसी की सजा मिली थी जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने काफी देर होने की वजह से उम्रकैदम बदल दिया था। राजीव गांधी की हत्या 21 मई को लिट्टे के आत्मघाती दस्ते द्वारा 21 मई 1991 में कर दिया गया था।