नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खनन से जुड़ी कंपनियों को अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सलाह दी है। यहां वर्ष 2013 और 2014 के लिए खनन के क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार देने के बाद उन्होंने कहा कि अत्यधिक जोखिम भरे खान में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। फिर भी सुरक्षा उपायों को पूरा करना कोई आसान काम नहीं है और उसके लिए ऊंचे पेशेवर मानदंडों की जरूरत होती है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से विज्ञान भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि खनिज पदार्थ वह मूल्यवान प्राकृतिक सम्पदा हैं जो बुनियादी ढांचे, पूंजीगत वस्तु और शुरुआती उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल प्रदान करते हैं। ये भारत के आर्थिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। खनिज पदार्थों के खनन और उनके प्रबंधन को राष्ट्र निर्माण की समग्र योजना से जोड़ना होगा।
कोविंद ने कहा कि यह जरूरी है कि खान में काम करने वाले मजदूरों के साथ-साथ खनन कार्य में भी सुरक्षा बनी रहे। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि विधायी उपायों और ‘आत्मनियंत्रण’, ‘सुरक्षा व्यवस्था में स्टॉफ की भागीदारी’ और ‘सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली’ जैसी धारणाएं खनन उद्योग में शुरू की गई हैं जिसके कारण मृत्यु दर में लगातार गिरावट आई है और हमें इसकी सराहना करनी चाहिए।
इसके बावजूद अभी भी हम ‘शून्य क्षति’ के अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सके हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय खनन उद्योग बदलाव के दरवाजे पर खड़ा है। अधिक उत्पादकता और फायदे का मजदूरी की सुरक्षा के साथ संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी है। जन सुरक्षा को हमेशा पहला स्थान दिया जाना चाहिए, उन्हें सदैव प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
इसके लिए हमें ‘प्रतिक्रिया की संस्कृति’ से निकलकर ‘निवारण की संस्कृति’ की ओर बढ़ना होगा। प्रत्येक खान और खनन उद्यम में सुरक्षा प्रोटोकॉल और विश्व के सर्वोत्तम तरीकों की जानकारी अपनाई जानी चाहिए। धनबाद का आई.एस.एम., अन्य आई.आई.टी. और एन.आई.टी. जैसे हमारे संस्थानों के साथ-साथ दूसरे संस्थानों में भी शीघ्र इनकी शुरुआत की जानी चाहिए। विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम और जमीनी प्रशिक्षण में सर्वोत्तम सुरक्षा उपायों की शिक्षा भी जोड़ी जानी चाहिए।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि खान सुरक्षा महानिदेशालय ने खदानों में काम कर रहे व्यक्तियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं और अनेक पहल की हैं। उन्होंने खनन कंपनियों से आग्रह किया कि वे मजदूरों और उनके परिवारों, स्थानीय समुदाय और समाज के कल्याण के लिए बेहतर नीतियां बनाएं।
उन्होंने भरोसा जताया कि हमारे देश का खनन उद्योग, सरकार, कारोबार, शिक्षा-जगत, शिक्षाविद् और शोधकर्ता संबंधी चुनौतियों को स्वीकार करने और उनसे जिम्मेदारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।