नई दिल्ली, (हि.स.)। केरल के लव जिहाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को निर्देश दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रविंद्रन की देखरेख में जांच करें।
आज सुनवाई के दौरान एएसजी मनिंदर सिंह ने कहा कि हदिया का धर्म परिवर्तन और उसकी शादी एक अकेली घटना नहीं है। उन्होंने ऐसे एक और मामले को उठाते हुए कहा कि दोनों मामलों में एक ही संगठन का हाथ है। केरल सरकार ने कहा कि उन्हें इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है कि इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी जाए।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने जब जस्टिस केएस राधाकृष्णन की निगरानी में जांच करने का प्रस्ताव किया तो शफी जहान के वकील कपिल सिब्बल और इंदिरा जय सिंह ने सलाह दी कि कोर्ट को केरल के बाहर के किसी रिटायर्ड जज के नाम पर विचार करना चाहिए। उसके बाद कोर्ट ने आरवी रविंद्रन के नाम पर मुहर लगाई। कोर्ट ने ये भी कहा कि वो इस मामले के अंतिम निष्पादन के पहले हदिया की बात सुनेगी।
पिछले 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस को निर्देश दिया था कि वो एनआईए से जांच की डिटेल साझा करें। साथ ही कोर्ट ने एनआईए को इस मामले में सहयोग करने को कहा था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शफी जहान ने कहा था कि हमने एनआईए को जांच के लिए नहीं कहा था हमने केवल उन्हें दस्तावेज को वेरिफाई करने को कहा था। तब कोर्ट ने कहा कि आप एनआईए पर शक कर रहे हैं। ये एक सरकारी एजेंसी है ये कोई बाहरी एजेंसी नहीं है। ये एक सिक्के की तरह हैं जिसमें एक पक्ष दूसरे को नहीं देखता। उस पर हम फैसला लेंगे। हम केवल ये जानना चाहते हैं कि इसमें कोई बड़ी साजिश है कि नहीं। पिछले 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार और एनआईए को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने लड़की के पिता को सभी दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई के दौरान लड़का शफी जहान की ओर से कपिल सिब्बल और इंदिरा जय सिंह ने कहा था कि लड़की वयस्क है और उसे कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए। उनकी इस दलील का लड़की के पिता की ओर से वकील माधवी दीवान ने विरोध किया कि इस बात के पुख्ता दस्तावेज हैं कि उसका अतिवादी संगठनों के प्रभाव में आकर धर्मपरिवर्तन कराया गया। शफी जहान की तरफ से कहा गया कि उसकी पत्नी ने अपनी मर्जी से अपना नाम बदलकर हदिया रखा था। उसने शादी करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल नहीं किया था।इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी शादी निरस्त कर दी थी। लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन कर उसके साथ मुस्लिम लड़के ने शादी की थी।
केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता शफी जहां ने अपनी पत्नी को अपने साथ रखने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। लड़की का नाम अकीला था जिसका इस्लाम में धर्म परिवर्तन के बाद हदिया हो गया। शफी केरल के कोल्लम जिले का रहनेवाला है जो मस्कट में नौकरी करता है। हदिया के पिता अशोकन एके कोट्टयम जिले के रहनेवाले हैं जिन्होंने केरल हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर अपनी बेटी को पाने की मांग की थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी बेटी को अनाधिकृत रूप से आरोपी ने अपने साथ रखा था। उनकी बेटी तमिलनाडु के सलेम में बीएचएमएस की पढ़ाई कर रही थी। वो वहां दो मुस्लिम बहनों के साथ किराये के घर में रहती थी, जिन्होंने उसे इस्लाम धर्म में परिवर्तित कराया। अशोकन के मुताबिक उनकी बेटी ने एक मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी और अब उसे आईएस से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा था। अशोकन की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने उनकी शादी शून्य घोषित करते हुए आईएस से जुड़ने के मामले की जांच का आदेश दिया था।