नई दिल्ली, (हि.स.)। स्वतंत्रता की सत्तरवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘न्यू इंडिया‘ की परिकल्पना को मिल-जुलकर साकार करने की अपील की| राष्ट्रपति ने निस्वार्थ भाव से कार्य करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हमें स्वयं अपना दीपक बनना होगा और जब सवा सौ करोड़ दीपक एक साथ जलेंगे तो सूर्य के प्रकाश के समान उनका उजाला सुसंस्कृत और विकसित भारत के मार्ग को आलोकित करेगा।
निस्वार्थ भाव से कार्य करने की प्रवृति अपनाने का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने परिवार से आगे समग्र समाज के बारे में भी सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थियों में सीमा की रक्षा करते जवान, आतंकवाद और अपराध का मुकाबला करते अर्द्धसैनिक बल, देशवासियों का पेट भरने वाला किसान, प्रकृति आपदा के समय संवेदनशील नागरिक, स्वयंसेवी संस्था सरकारी एजेंसियों से जुड़े लोग निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं क्या हम सब, देश की निःस्वार्थ सेवा के इस भाव को आत्मसात नहीं कर सकते?
नागरिकों और सरकार के बीच साझेदारी पर बल देते हुए राष्ट्रपति ने सरकार की योजनाओं जैसे ‘स्वच्छ भारत’, ‘खुले में शौच से मुक्त’, ‘बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता लाने, कर प्रणाली को आसान बनाने सख्त कानून बना रही है लेकिन ‘कानून का पालन करने वाला नागरिक बनना, कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है’।
राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक या सामाजिक सीमाओं के कारण हमारा एक भी बच्चा पीछे न रह जाए। उन्होंने आह्वान किया कि हमें अपने बच्चे के साथ ही, किसी एक और बच्चे की पढ़ाई में भी मदद करनी चाहिए। पूर्ण साक्षर समाज के साथ हमें शिक्षा के मापदण्ड ऊंचे करने की बात कही ताकि एक पूर्णतया शिक्षित और सुसंस्कृत समाज बन सकेंगे।
राष्ट्रपति ने 2022 तक ‘न्यू इंडिया‘ के लिए कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के ‘राष्ट्रीय संकल्प’ पर जोर दिया और कहा, कुछ तो बड़े ही स्पष्ट मापदंड हैं जैसे - हर परिवार के लिए घर, मांग के मुताबिक बिजली, बेहतर सड़कें और संचार के माध्यम, आधुनिक रेल नेटवर्क, तेज और सतत विकास।’’
उन्होंने कहा कि यह भी जरूरी है कि ‘न्यू इंडिया’ हमारे डीएनए में रचे-बसे समग्र मानवतावादी मूल्यों को समाहित करे। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा संवेदनशील समाज निर्मित करें, जहां पारंपरिक रूप से वंचित लोग विकास प्रक्रिया में सहभागी बनें, जहां
सीमांत प्रदेशों में रहने वालों को अपने भाइयों और बहनों की तरह गले लगाए, जहां जहां अभावग्रस्त बच्चे, बुजुर्ग और बीमार वरिष्ठ नागरिक, और गरीब लोग, दिव्यांग भाई-बहनों हमेशा हमारे विचारों के केंद्र में रहें। जहां जहां बेटा और बेटी में कोई भेदभाव न हो, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न हो। जहां मानव संसाधन रूपी हमारी पूंजी को समृद्ध करे, जो विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थानों में अधिक से अधिक नौजवानों को कम खर्च पर शिक्षा पाने का अवसर देते हुए उन्हें समर्थ बनाए।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत आजादी के नायकों से की और स्वतंत्रता के लिए शहीद होने वाले क्रांतिकारियों को याद किया । आजादी के नायकों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने नेहरूजी को विरासत और परंपराओं से टेक्नॉलॉजी का तालमेल बनाने वाला, सरदार पटेल को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रति जागरूक करने वाला, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को संविधान के दायरे मे रहकर काम करने की प्रेरणा देने वाला और महात्मा गांधी को समाज और राष्ट्र के चरित्र निर्माण पर बल देने वाला बताया।
उन्होंने कहा हमें जिस पीढ़ी ने स्वतंत्रता दिलाई, उसका दायरा बहुत व्यापक था, उसमें बहुत विविधता भी थी।...नैतिकता पर आधारित नीतियों और योजनाओं को लागू करने पर उनका जोर, एकता और अनुशासन में उनका दृढ़ विश्वास, विरासत और विज्ञान के समन्वय में उनकी आस्था, विधि के अनुसार शासन और शिक्षा को प्रोत्साहन, इन सभी के मूल में नागरिकों और सरकार के बीच साझेदारी की अवधारणा थी।
समाज में अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुनः जगाने की बात कहते हुए उन्होंने पुराने समय का उदाहरण दिया जब समाज बेटी के विवाह के समय कैसे सब मिलकर अपना योगदान देते थे। उन्होंने कहा, ‘‘आज भी एक दूसरे के विचारों का सम्मान करने का भाव, समाज की सेवा का भाव, और खुद आगे बढ़कर दूसरों की मदद करने का भाव, हमारी रग-रग में बसा हुआ है। अनेक व्यक्ति और संगठन, गरीबों और वंचितों के लिए चुपचाप और पूरी लगन से काम कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकार लिया है। सरकार को जो भी राजस्व मिलता है, उसका उपयोग राष्ट्र निर्माण के कार्यों में ही होता है।
नोटबंदी के समय जिस तरह आपने असीम धैर्य का परिचय देते हुए कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया, वह एक जिम्मेदार और संवेदनशील समाज का ही प्रतिबिंब है। नोटबंदी के बाद से देश में ईमानदारी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है। ईमानदारी की भावना दिन-प्रतिदिन और मजबूत हो, इसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना होगा।
आधुनिक टेक्नॉलॉजी को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘टेक्नॉलॉजी का प्रयोग करना ही होगा, ताकि एक ही पीढ़ी के दौरान गरीबी को मिटाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, आपसी टकराव, मानवीय संकटों और आतंकवाद जैसी कई अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में विश्व पटल पर भारत अहम भूमिका निभा रहा है। सन् 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को प्रभावशाली बनाना।सरकारें, खेलकूद से जुड़े संस्थान, तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान एकजुट होकर प्रतिभाशाली खिलाडि़यों को आगे लाने, उन्हें विश्व स्तर की सुविधाएं और प्रशिक्षण उपलब्ध कराने में इस तरह से लग जाएं जिससे खिलाडि़यों को अधिक से अधिक सफलता मिल सके।
प्रधानमंत्री के कहने पर सब्सिडी छोड़ने वालों को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि हमें ऐसे परिवारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।