गोरखपुर, (हि.स.)। ऑक्सीजन की कमी से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरने वालों की संख्या 30 के पार पहुंच गई है। हादसे की जानकारी होते ही मंडलायुक्त और जिलाधिकारी मौके पर पहुंच गये हैं। अस्पताल में अफरातफरी का माहौल है।
मरीजों के लिए लाइफ लाइन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को देर रात लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई जिसकी वजह से शुक्रवार को दिनभर अफरा-तफरी रही। ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना पर मरीजों के तीमारदार चिल्लाने और रोने लगे।
लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी की चेतावनी को बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा नजरअंदाज करना भारी पड़ा। ऑक्सीजन सप्लाई करने के बाद पैसे देने में देरी करने की वजह से बाला जी कंपनी, मयूर कंपनी, मोदी कंपनी ने भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज को सिलिण्डर देने से मना कर दिया है। हालत यह है कि ऑक्सीजन की कमी से बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती 30 से ज्यादा मरीजों ने दम तोड़ दिया है। इनमे 25 नवजात शामिल हैं। डीएम राजीव रौतेला और मंडलायुक्त मेडिकल कालेज पहुंचकर हालात का जायजा ले रहे हैं। प्रशासन ने 30 मौतें होने की बात स्वीकार की है।
इधर, मेडिकल कालेज प्रशासन इन मौतों को ऑक्सीजन की कमी से होने से इनकार कर रहा है। मेडिकल कालेज के जिम्मेदार घटना को जांच का विषय बता रहे हैं। प्राचार्य की तानाशाही से कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी इस बारे में मुंह खोलने से परहेज कर रहा है। मीडिया को भी अभी आधिकारिक जानकारी नहीं दी जा रहीं हैं। हालांकि मेडिकल कालेज प्रशासन ने आंकड़ेबाजी कर मौतों की संख्या को सात तक सिमटा दिया है। यह भी कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज के मरीजों को बताया जा रहा है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पूरे पूर्वांचल, बिहार और नेपाल तक के मरीज इलाज कराने आते हैं। प्रदेश सरकार ने मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा सुविधा बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया लेकिन यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों के चिकित्सा के प्रति बीआरडी प्रशासन कितना लापरवाह है, इसका अंदाजा शुक्रवार को हुई मरीजों की मौत से लगाया जा सकता है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीते बुधवार को स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत जानने के लिये समीक्षा बैठक की थी। इससे पहले भी यहां दौरे पर आने वाले मंत्री व अधिकारी भी मरीजों को बेहतर इलाज की वकालत कर चुके हैं। इसके बावजूद लापरवाही इस कदर रही कि लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी पुष्पा सेल के 69 लाख रुपये के बकाये का भुगतान न होने पर आक्सीजन ठप करने की चेतावनी को बीआरडी प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। इतना ही नहीं 10 अगस्त को आपरेटरों ने ऑक्सीजन खत्म होने की आशंका को देखते हुए बीआरडी प्राचार्य, एसआईसी, विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया विभाग, नोडल अधिकारी एनएचएम मेडिकल कॉलेज को समस्या से अवगत कराया था, लेकिन किसी ने कम्पनी की सूचना को गंभीरता से नहीं लिया। शुक्रवार को अब तक 30 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है।
मेडिकल कॉलेज में हर रोज 150 सिलिण्डर की खपत है। इंसेफेलाइटिस वार्ड में भी एक बार में 16 सिलिण्डर लगते हैं। वजह, यहां पीड़ितों को आक्सीजन पर ही रखा जाता है। लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म हो जाने से 100 बेड इंसेफेलाइटिस वार्ड, ट्रामा सेंटर, 12 व 14 मेडिसिन इमरजेंसी वार्ड, व 2 व 6 चिल्ड्रेन वार्ड प्रभावित हैं।
लिक्विड आक्सीजन की कमी के बाद इंसेफेलाइटिस वार्ड के मरीजों की बढ़ती समस्या को देखते हुए इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी डॉ़ कफील खान ने मोर्चा संभाला है। आक्सीजन सिलिंडर की कमी से निपटने को वे अपने हर खास व्यक्ति से संपर्क कर रहे हैं। उनके प्रयास से एसएसबी डीआईजी ने 10 सिलिण्डर भिजवाये हैं। 8 सिलिण्डर की व्यवस्था निजी अस्पतालों से कराई गई है। प्रशासन ने 50 सिलिण्डर फैजाबाद से मंगवा लिए हैं। आक्सीजन सिलिण्डर सप्लाई करने वाली गोरखपुर की कंपनी मयूर से संपर्क किया जा रहा है। हालांकि कम्पनी ने नकद धन मिलने पर 50 सिलिण्डर देने की बात कही थी, लेकिन जब डॉ़ कफील ने 10 हजार रुपये देकर सिलिण्डर लेने के लिये गाड़ी भेजी तो कंपनी ने सिलिण्डर देने से मना कर दिया है। इसलिए यह मामला और भी गंभीर होता जा रहा है।