नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्र सरकार ने आज सदन में सफाई पेश करते हुए बताया कि बाढ़ राहत में सरकार ने कोई लापरवाही नहीं बरती है। सरकार ने हर क्षेत्र को बराबर तरजीह देते हुए मदद उपलब्ध करवाई है। विपक्ष की तरफ से आज हमला बोलने की कमान युवा सांसद गौरव गोगोई ने संभाली तो जवाब में सरकार की तरफ से मोदी सरकार के युवा गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने मोर्चा संभाला। किरेन रिजिजू ने बाढ़ से निपटने में राजनीतिक भेदभाव के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने इस आपदा का सामना करने के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ कदम उठाये हैं।
रिजिजू ने देश के अलग-अलग हिस्सों में आई बाढ़ आपदा को लेकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए जितनी तेजी से कदम उठाये हैं उतनी मुस्तैदी से पहले किसी पूर्ववर्ती सरकार में नहीं उठाया गया है।
उन्होंने बताया कि 2017-18 के दौरान सभी राज्यों को उनके अापदा कार्रवाई बल (एसडीआरएफ) के खातों में केंद्र के हिस्से की 9382़ 80 करोड़ रुपये की राशि दी गयी है।
रिजिजू ने कहा कि सरकार 23 राज्यों को 4308़ 125 करोड़ की राशि पहले ही जारी कर चुकी है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा में बचाव एवं राहत जैसी कार्रवाई फौरन की जा रही है। इसके लिए केंद्र के पास 12 बटालियन हैं।
उन्होंने बताया कि पूरे देश में बाढ़ से 203 जिले प्रभावित हुए हैं और 962 लोगों की मौत हुई है तथा 206 लोग घायल हुए हैं| 23 लोग लापता हैं। आपदा में दो लाख 43 हजार 345 मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं।
बाढ़ से निपटने में पश्चिम बंगाल के साथ राजनीतिक भेदभाव के तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय के आरोपों को खारिज करते हुए रिजिजू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं में भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होती।
उन्होंने कहा कि सचाई यह है कि राज्य सरकार की ओर से बाढ़ से हुए नुकसान के आकलन पर अभी तक केंद्र को ज्ञापन भी नहीं भेजा गया है। केंद्र पश्चिम बंगाल एसडीआरएफ के लिए 203़ 20 करोड़ रुपये जारी कर चुका है।
कुम्भकर्ण की नींद में मोदी सरकार : गौरव गोगोई
विपक्ष की तरफ से केंद्र सरकार पर आज कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बाढ़ राहत को लेकर बड़ा हमला किया। गोगोई ने कहा कि सरकार स्थिति पर गंभीर नहीं दिख रही और कुंभकर्ण की नींद में सो रही है।
गोगाई ने लोकसभा में बाढ़ पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा कि बाढ़ से असम में 85 लोगों की मौत हो गयी है और 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। मणिपुर में भी 15 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। गोगोई ने केंद्र सरकार पर बाढ़ राहत कार्य में विफलता के आरोप लगाए।
गोगाई ने मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी बाढ़ की स्थिति को भयावह बताते हुए सरकार से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार इसके बावजूद गंभीर संकल्प नहीं ले पा रही। वह कुंभकर्ण की तरह सोई हुई है। बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा का दर्जा देकर वह लंबा संकल्प कब लेगी?
गौरव गोगोई ने बाढ़ के प्रति सरकार की गंभीरता और अच्छे दिन के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने बाढ़ प्रबंधन को सरकार के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की सूची से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि पहले बाढ़ नियंत्रण की परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार 75 प्रतिशत वित्त पोषण देती थी। पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के लिए वह 90 प्रतिशत राशि देती थी। लेकिन, नीति आयोग के मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की अनुशंसा पर सरकार ने अपनी हिस्सेदारी घटाकर 50 प्रतिशत और विशेष राज्यों के लिए 80 प्रतिशत कर दी है।
उन्होंने कहा कि इससे निर्माणाधीन परियोजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। गोगोई ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए कहा कि देश में बाढ़ प्रबंधन की स्थिति खराब हुई है। असम में इस मद में केंद्र से मिलने वाली 60 प्रतिशत राशि समय से जारी नहीं की गयी जिससे परियोजनाओं का काम विलंबित हो रहा है। उन्होंने हर साल आने वाली आपदाओं के लिए स्थायी राहत केंद्र बनाने की भी सरकार से मांग की, जहां सोने के लिए लोगों को बिस्तर मिले, महिलाओं और बच्चों के लिए अलग कमरे हों, दवाइयों और नर्स तथा चिकित्सा कर्मचारियों का प्रबंध हो।
गोगोई ने कहा कि सरकार गंगा की सफाई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये दे रही है| दूसरी ओर पूरे पूर्वोत्तर के लिए सिर्फ दो हजार करोड़ रुपये दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस राशि को बढ़ाकर कम से कम 10 हजार करोड़ रुपये किया जाना चाहिये। ब्रह्मपुत्र, बराक तथा देश की अन्य नदियों को भी उन्होंने समान महत्व देने की मांग की।