राष्ट्रीय
लोकतंत्र वह है जो अल्पसंख्यकों को जरूरी दर्जा दे : हामिद अंसारी
By Deshwani | Publish Date: 10/8/2017 3:13:50 PMनई दिल्ली, (हि.स.)। देश के 13वें उपराष्ट्रपति के तौर पर हामिद अंसारी के कार्यकाल के आखिरी दिन विदाई समारोह को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यकों के प्रति एक बार फिर अपनी चिंता प्रकट की। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शब्दों को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र वह है जो अल्पसंख्यकों को जरूरी दर्जा दे। साथ ही, अल्पसंख्यकों के भी कुछ दायित्व हैं जिसका उन्हें निर्वहन करना चाहिए।
राज्यसभा के सभापति ने अपने विदाई भाषण में कहा कि सदन की चेयर किसी क्रिकेट मैच के अंपायर या हॉकी के रेफरी की तरह होती है, जिसमें बिना खेले ही कई दायित्व निभाने होते हैं। उन्होंने कहा, 'राज्यसभा कोई राह का पत्थर नहीं है| मुझे लगता है कि मैं यहां सफल रहा हूं।' समाज में हिंसक घटनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि कल बहुत तकलीफ हो सकती है| मगर जरूरी है कि हम मुस्कुराएं, सिर्फ मुस्कुराने से ही कई समस्याएं सुलझ जाती हैं।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि देश का संविधान एक मजबूत लोकतंत्र देता है। लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि सदन में विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिले। सभी की बातों को सुनकर ही एक बेहतर विचार को आगे बढ़ाना बेहतर विकल्प होता है।
अपने संबोधन के आखिर में उपराष्ट्रपति ने एक शेर अर्ज किया- 'आओ कि आज खत्म करें दास्तान-ए-इश्क, अब खत में आशिकी के फसाने सुनाएं हम'। उपराष्ट्रपति के संबोधन की समाप्ति के साथ ही राज्यसभा की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।