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लोकसभा का संकल्प, 2022 तक देश को बनाएंगे समृद्ध व सशक्त
By Deshwani | Publish Date: 9/8/2017 6:13:33 PM
लोकसभा का संकल्प, 2022 तक देश को बनाएंगे समृद्ध व सशक्त

 नई दिल्ली, (हि.स.)। लोकसभा में भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश को 2022 तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने का संकल्प पारित हुआ। सदन ने संकल्प लिया कि 2022 तक सशक्त, समृद्ध, स्वच्छ, पूर्ण साक्षर, वैभवशाली भारत के निर्माण के लिए, लोकतांत्रिक मूल्यों के संवर्द्धन हेतु सभी सदस्य समर्पित रहेंगे।

बुधवार को लोकसभा में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष चर्चा के बाद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में उक्त संकल्प पेश किया जिसका सभी सदस्यों ने आम सहमति से समर्थन किया।

इससे पूर्व भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार को देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती करार दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान 'संकल्प से सिद्धि' के भाव के साथ कार्य करें और दुनिया के देशों के लिये आज की स्थिति में उसी प्रकार से प्रेरणा बनें जैसा 1942 के आंदोलन के बाद 1947 के समय भारत ने दुनिया को प्रेरित किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम 2017 में हैं तब मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता हूं कि आज हमारे पास गांधी नही हैं| आज हमारे पास उस समय की ऊंचाई वाला नेतृत्व नहीं है लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ हम उस सपने को पूरा कर सकते हैं जो उन्होंने देखा था। मोदी ने कहा कि हमारी आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था। उस समय 1942 के आंदोलन के बाद जब हमें आजादी मिली तब यह केवल हमारे देश की आजादी नहीं थी, बल्कि इसने अफ्रीका से दुनिया के अनेक देशों को प्रेरणा देने का काम किया। एक के बाद एक कई देश इसके बाद आजाद हुए।

उन्होंने कहा कि गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण हमारे देश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं| हमें सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार हमारी राजनीति को अंदर से खोखला कर रहा है| हम गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार से देश को मुक्त बनाने का संकल्प लें। मोदी ने कहा कि 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि में हम उसी भावना और संकल्प के साथ काम करें जो भाव 1942 से 1947 के बीच पांच वर्ष की अवधि के दौरान था।

उन्होंने कहा कि 1942 में ‘करो या मरो’ के नारे ने पूरे देश को प्रेरित किया| उसी प्रकार से हम ‘करेंगे और करके रहेंगे’ का संकल्प लें और 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान 'संकल्प से सिद्धि' के भाव के साथ कार्य करें और गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार की चुनौती से लड़ने और उसे दूर करने का कार्य करें ।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि भारत छोड़ो आदोलन के दौरान जब राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कहा कि ‘कांग्रेस करे या मरे’ इसके बाद लोग उत्साहित हो गए। उन्होंने कहा कि, बापू की बात को मैं दोहरा रही हूं। उन्होंने कहा था 'करो या मरो'। नेहरु ने जेल में सबसे लंबा वक्‍त बिताया। कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जेल में निधन हो गया। कई लोगों ने आजादी आंदोलन का विरोध किया। ऐसे लोगों का आजादी में कोई योगदान नहीं। अंग्रेजी हुकूमत ने दमन किया। हमें हर तरह की दमनकारी नीतियों से लड़ना है। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन हमारी आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी परिवर्तन की मिसाल बन गया| हालांकि इसके लिए हमे अनगिनत कुर्बानियां देनी पड़ी। आज जब हम उन शहीदों को नमन कर रहे हैं जो स्वाधीनता संग्राम में सबसे अगली कतार में रहे, तो हमें यह नहीं भूलना चहिए कि उस दौर में ऐसे संगठन और व्यक्ति भी थे, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था। हमारे देश को आजादी दिलाने में इन तत्वों का कोई योगदान नहीं रहा।

चर्चा में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री के संकल्प का समर्थन किया। कई अन्य दलों के नेताओं ने भी इस विशेष चर्चा में हिस्सा लिया। चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने संकल्प पारित किया। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सांवरलाल जाट के निधन पर उनको श्रद्धांजलि देकर सदन की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

येचुरी ने कहा कि वर्तमान आर्थिक नीतियां बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि कर रही हैं| अमीर और गरीब के बीच की खाई को और चौड़ा कर रही हैं।

येचुरी ने कहा, ‘साल 2014 में जीडीपी का 49 फीसदी भारत की एक फीसदी आबादी के पास था और अब जीडीपी का 58.4 फीसदी महज एक फीसदी लोगों के हाथों में है। क्या इसी भारत का 1947 में सपना देखा गया था, जब हम आजाद हुए थे?’

येचुरी ने कहा, ‘भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए हमें आन्दोलन करना होगा, न कि भारत में हिन्दू पाकिस्तान बनाने के लिए।’

उन्होंने कहा, ‘क्या संकल्प होना चाहिए? यह सिर्फ अतीत की स्मृतियों को याद करनेवाला नहीं होना चाहिए। यह अच्छा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम आगे की तरफ बढ़ रहे हैं या हम पीछे की तरफ बढ़ रहे हैं।’

 
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