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भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर सदन में पीएम मोदी, जेटली और सोनिया ने रखे विचार
By Deshwani | Publish Date: 9/8/2017 3:06:26 PM
भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर सदन में पीएम मोदी, जेटली और सोनिया ने रखे विचार

नई दिल्ली, (हि.स.)। संसद के दोनों सदनों लोकसभा-राज्यसभा में आज बुधवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर विशेष सत्र आयोजित किया जा रहा है। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस चर्चा की शुरुआत की तो वहीं उच्च सदन में इसकी कमान केंद्रीय वित्त एवं रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संभाली। 
अरुण जेटली ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा कि हमारे देश के जवानों में देश की सुरक्षा करने की क्षमता है। देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान में आतंकवाद है। उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में जो लोग संविधान को नहीं मानते हैं, वो संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं।
जेटली ने कहा कि देश के अंदर अलग-अलग विचार रखने वाले लोगों को निर्णायक प्रक्रिया में लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष में जो लक्ष्मण रेखा बनी हुई है, वो बनी रहनी चाहिए। 
जेटली ने कहा कि आज देश की राजनीति को देखकर बहुत प्रश्न खड़े होते हैं, जिनके जवाब हम सब को ढूंढना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने 1962 की जंग से सबक सीखा और अपनी सेना को मजबूत किया| जिसका असर 1965 और 1971 में दिखा। हमने आतंकवाद की वजह से एक पीएम (इंदिरा गांधी) और एक पूर्व पीएम (राजीव गांधी) को खोया है। 
दूसरी तरफ लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का यह दिन हर भारतीय के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया| 1857 में पूरे देश में आजादी का बिगुल बजा। साल 1942 में देश में अभी नहीं तो कभी नहीं का माहौल बना था। उस दौरान आजादी के इस आंदोलन ने दुनिया कई देशों में आजादी की लौ जला दी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'महात्मा गांधी के मुंह से 'करेंगे या मरेंगे' शब्द देश के लिए अजूबा थे। गांधी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं। हम करेंगे या मरेंगे। उस समय जनभावनाओं के अनुकूल बापू ने इन शब्दों का प्रयोग किया था। हर कोई इन शब्दों के साथ जुड़ गया था।'
राष्ट्रनीति सर्वोपरि
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, 'राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है। साल 1942 में देश का हर व्यक्ति नेता बन गया था। उन्होंने कहा कि दल से बड़ा देश होता है। आज हम मिलकर काम करेंगे तो हमें सफलता जरुर मिलेगी।'
भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज हमें पता ही नहीं है कि हम क्या गलत कर रहे हैं और क्या सही कर रहे हैं। आज हम कानून तोड़ देते हैं| कहीं भी गंदगी फैला देते हैं। हमें देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ कर फेंकना होगा| भ्रष्टाचार ने देश को खोखला कर दिया है।' 
ईमानदार नीति 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। आइए हम ईमानदारी से 2022 तक भारत को गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सांप्रदायिकता से मुक्त करने का संकल्प लें हैं और ‘न्यू इंडिया’ का सपना पूरा करें। हम ईमानदारी से काम करने का संकल्प लेते हैं।'
विपक्ष की कमान संभाली सोनिया ने 
विपक्ष की तरफ से इस चर्चा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कमान संभाली। लोकसभा में सोनिया गांधी ने कहा, 'गांधी जी ने कहा था, कांग्रेसी करें या मरें। आजादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं की जेल में मौत हो गई थी और पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु ने जेल में लंबा समय बिताया था।'
सोनिया ने बिना नाम लिए आरएसएस पर निशाना साधा और कहा कि ऐसे संगठनों ने आजादी में कोई योगदान नहीं दिया बल्कि ऐसे संगठन आजादी के आंदोलन के खिलाफ थे।
गौरतलब है कि 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है। ये आंदोलन 8 अगस्‍त 1942 से आरंभ हुआ था। दरअसल, 8 अगस्‍त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया। इसके बाद से ही ये आंदोलन व्‍यापक स्‍तर पर आरंभ किया गया। गोवालिया टैंक मैदान से गांधीजी ने भाषण दिया था। 
उन्‍होंने कहा, 'मैं आपको एक मंत्र देना चाहता हूं जिसे आप अपने दिल में उतार लें, यह मंत्र है, करो या मरो|' बाद में इसी गोवालिया टैंक मैदान को अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाने लगा। 
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