ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व जम्मू कश्मीर सरकार को लगाई फटकार, तीन माह में मांगा रिपोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 8/8/2017 12:25:01 PM
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व जम्मू कश्मीर सरकार को लगाई फटकार, तीन माह में मांगा रिपोर्ट

नई दिल्ली, (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक आयोग बनाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अपना जवाब दाखिल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार दोनों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आप तीन महीने के अंदर इस पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करें।
पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच बैठक हुई है लेकिन कुछ और समय की जरूरत है क्योंकि इसके लिए उच्च प्राधिकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। उसके पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से कहा था कि वे इसका एक हल निकालें।
याचिकाकर्ता अंकुर शर्मा ने याचिका दायर कर मांग की है कि राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जाए ताकि राज्य से अल्पसंख्यकों के धार्मिक और भाषायी हित सुरक्षित रहें। याचिका में कहा गया है कि राज्य में करोड़ों रुपये अल्पसंख्यकों के नाम पर खर्च हो रहे हैं। राज्य में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है लेकिन 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में मुस्लिमों की आबादी 68.31 फीसदी है।
याचिका का जम्मू-कश्मीर की सरकार ने विरोध करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक्ट 1992 को जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं करने का ये मतलब नहीं है कि वहां के अल्पसंख्यकों को सुविधाएं नहीं मिलेंगी। राज्य सरकार ने दलील दी थी कि कोर्ट किसी खास मसले पर कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती है।
बतादें कि पिछले 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर नहीं करने पर केंद्र सरकार पर तीस हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे तुषार मेहता से कहा था कि अधिकतर मामलों में आपका रुख ऐसा ही रहता है।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS