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लगातार हार से बौखलाई कांग्रेस अहमद पटेल की सदस्यता बचाने में जुटी
By Deshwani | Publish Date: 6/8/2017 7:42:15 PM
लगातार हार से बौखलाई कांग्रेस अहमद पटेल की सदस्यता बचाने में जुटी

  नई दिल्ली,  (हि.स.)। राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में करारी शिकस्त और बिहार में गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस अहमद पटेल की राज्यसभा सीट बचाने को लिए अहम रणनीति बनाने में जुटी है।

यही वजह है कि राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने दिल्ली में आठ अगस्त को कार्यसमिति की बैठक बुलाई है। दूसरी ओर ठीक इसी दिन 8 अगस्त को गुजरात के 44 विधायकों का बंगलुरु से दिल्ली बुलाए जाने की खबर है।

हालांकि इन विधायकों का नेतृत्व कर रहे शक्ति सिंह गोहिल के अनुसार, ‘हम दिल्ली नहीं गुजरात जाएंगे। ये गलत खबर फैलाई जा रही है कि हमारे विधायक दिल्ली जाकर सोनिया जी से मिलेंगे। भाजपा ही यह गलत खबर फैला रही है कि हमारे विधायक नोटा पर वोट करेंगे।'

बिहार-गुजरात के विधायक टूटने का डर

दरअसल कांग्रेस को अपने विधायकों के टूटने का डर अब भी सता है, यही वजह है कि फिलहाल पार्टी मतदान से पहले इन विधायकों को अकेला नहीं छोड़ना चाहती।

दूसरी ओर ठीक ऐसी ही स्थिति बिहार में कांग्रेस के 27 विधायकों की है। लेकिन वहां हालात ऐसे हैं कि उनकी कोई भूमिका नहीं रह गई है और मजबूरन आरजेडी के साथ ही रहना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो राज्य के कई कांग्रेस नेता आरजेडी के साथ इस गठजोड़ से ऊब चुके हैं और करीब 9 विधायक जेडीयू के संपर्क में हैं। ऐसे में कांग्रेस को उनके भी पार्टी छोड़ने का डर सता रहा है।

राज्यों के नए प्रभारियों की नियुक्ति

इस बैठक से पहले कई राज्यों के बारे में यह मैसेज दिया गया है कि अध्यक्ष बदला जाएगा। इसलिए मौजूदा अध्यक्ष और उसकी टीम निष्क्रिय पड़ी हुई है। बिहार, झारखंड, हरियाणा, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल सहित कुछ और राज्यों में यही स्थिति है। हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि इस बारे में फैसला हो गया है। वैसे भी राहुल के करीबी मौजूदा अध्यक्ष अशोक तंवर को चार साल हो गए हैं और उनको पता है कि वे हटने वाले हैं। फिर भी नए अध्यक्ष की घोषणा नहीं हो रही है। इसी तरह बिहार में कांग्रेस की बुरी दशा है। वहां प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी करीब चार साल से पद पर हैं और 20 महीने तक वे राज्य सरकार में मंत्री रहे। कांग्रेस ने वहां नए अध्यक्ष की नियुक्ति रोकी हुई है। इसका नतीजा यह हुआ है कि अशोक चौधरी का विरोधी खेमा अलग रास्ता तलाश रहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी टूटने की कगार पर है। ऐसे ही झारखंड में अनिश्चितता की स्थिति है। प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत के हटने की चर्चा है।

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