रायपुर, (हि.स.)। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के दो आईपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। 2000 बैच के आईपीएस एएम जूरी और 2002 बैच के आईपीएस के सी अग्रवाल को पद से हटाने का आदेश गृह विभाग ने जारी कर दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस रहे राजकुमार देवांगन को पद से हटाने का फरमान जारी किया था।
गौरतलब है कि अप्रैल में हुई रिव्यू कमेटी की बैठक के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दो आईपीएस अधिकारी की नौकरी संकट में हैं। कमेटी ने अपने रिव्यू के दौरान दोनों ही आईपीएस की सर्विस को लेकर जो रिमार्क किया था, वह इनके पक्ष में नहीं था। कमेटी ने अपनी अनुशंसा राज्य सरकार को भेज दी थी। कमेटी में मध्यप्रदेश के एडीजी अशोक दोहरे, प्रमुख सचिव गृह वीवीआर सुब्रमण्यम के अलावा डीजीपी ए एन उपाध्याय की अगुवाई वाली कमेटी ने ये रिपोर्ट तैयार की थी। कुछ दिन मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने भी कहा था कि रिव्यू कमेटी की अनुशंसा को जस का तस केंद्र सरकार को भेज देंगे। राज्य सरकार ने रिव्यू कमेटी की अनुशंसा को केंद्र को भेज दिया था। केंद्र ने राज्य की अनुशंसा के आधार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों ही आईपीएस एएम जुरी और केसी अग्रवाल को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी।
पुलिस मुख्यालय से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि आईपीएस ए एम जुरी के मामले में बीते एक दशक से जांच चल रही थी। तत्कालीन डीजीपी ओपी राठौड़ को जूरी की पत्नी ने यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि बगैर तलाक लिए जूरी ने दूसरी शादी कर ली है। इस मामले की शिकायत का जिम्मा तात्कालीन डीजीपी ने बिलासपुर के तात्कालीन आईजी को सौंपी थी। जांच के बाद मुख्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में जूरी के खिलाफ लगे आऱोपों की पुष्टि की गई थी, तब से अब तक इस मामले पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई लेकिन रिव्यू कमेटी की बैठक में जिस सीआर को पेश किया गया, उसमें इसका जिक्र था। लिहाजा सरकार ने जूरी की सर्विस में ब्रेक लगाने का फैसला लिया। दूसरी ओर आईपीएस के सी अग्रवाल पर सूरजपुर एसपी रहते हुए कोल माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप था।
केंद्र सरकार के फैसले को लेकर आईपीएस अधिकारी एएम जूरी ने कहा कि जिस मामले को लेकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई, उस मामले पर उनकी अपील कैट में विचाराधीन है। ये मेरा फैमिली मैटर था। 2008 में इसकी शिकायत की गई। मैंने अपना पक्ष भी रख दिया था। अचानक 2012 में इस प्रकरण को दोबारा खोल दिया गया था। बीते डेढ़ साल से यह प्रकरण कैट में हैं, कैट ने शासन से जवाब भी मांगा है लेकिन शासन ने अब तक इस विषय पर अपना जवाब कैट को नहीं भेजा है। जूरी ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले को पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इस मामले का विस्तृत अध्ययन कर आगे की दिशा तय की जाएगी।