नई दिल्ली, (हि.स)। केंद्र सरकार ने स्वच्छता सेवाओं में सुधार के लिए बुनियादी ढांचागत विकास और उनके टिकाउपन, परिणाम, इससे नागरिकों का जुड़ाव तथा जमीनी स्तर पर नजर आने वाले प्रभावों के आधार पर देश के सभी 4041 शहरों और कस्बों की स्वच्छता रैंकिंग के लिए सोमवार ‘स्वच्छ सर्वेक्षण - 2018’ का शुभारंभ किया है।
आवास और शहरी मामले मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने श्रृंखला के इस तीसरे सर्वेक्षण का शुभारंभ किया और व्यापक सर्वेक्षण सामग्री जारी की। उन्होंने सर्वेक्षण की कार्य विधि, भारांक (वेटेज) और नई विशेषताओं तथा अधिक ध्यान देने वाले क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी ताकि शहरों और कस्बों को अगले 6 महीनों में सर्वेक्षण के लिए तैयारी करने में मदद मिले।
तोमर ने कहा कि देशभर में पहली बार कराये जा रहे इस सर्वेक्षण के तहत सभी शहरों और कस्बों में लगभग 40 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले स्वच्छता के स्तर का मूल्यांकन किया जाएगा और विश्व में इस प्रकार का यह सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। उन्होंने कहा कि 2016 और 2017 में घोषित ऐसे सर्वेक्षणों के परिणामों से शहरों और नागरिकों में जोश और उत्साह बढ़ने के साथ ही सभी हितधारकों के बीच स्वस्थ1 प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिला जिससे देश के सभी शहरी क्षेत्रों में सर्वेक्षण के दायरे का विस्तापर हुआ। मंत्री महोदय ने बताया कि शहर और राज्य सरकारों, विशेषज्ञों और अन्यस हितधारकों के साथ व्या्पक विचार-विमर्श के आधार पर और स्वच्छज भारत मिशन (शहरी) की प्रगति के अनुरूप स्वसच्छय सर्वेक्षण- 2018 की कार्यविधि और वेटेज में कुछ बदलाव भी किये गये हैं।
कार्यविधि और इसकी नई विशेषताओं को विस्तार से समझाते हुए आवास और शहरी मामले मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि स्वच्छता की प्रगति का मूल्यांकन करने में नागरिकों की भागीदारी की आवश्यकता को ध्यान रख कर जमीनी स्तर पर परिणाम हासिल किये जायेंगे। 2017 के सर्वेक्षण की तुलना में नागरिकों की प्रतिक्रिया के लिए कुल वेटेज और स्वच्छता पर स्वतंत्र अवलोकन के लिए 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। स्वच्छता के अभिनव तरीकों और समाधानों के लिए शहरों को बढ़ावा देने के वास्ते एक नया मानदंड ‘अभिनव’ शुरू किया गया है जिसके लिए 5 प्रतिशत वेटेज रखा गया है।
स्वच्छता के स्तर में लगातार सुधार सुनिश्चित करने की आवश्यकता और तैयार किये जा रहे बुनियादी ढांचे के प्रबंधन पर बल देते हुए मिश्रा ने कहा कि हाल के सर्वेक्षण में शौचालयों में जलापूर्ति की उपलब्धता, सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की परिचालन और प्रबंधन राशि तथा उपभोग शुल्क (यूजर चार्ज) के जरिये एसडब्ल्यूएम बुनियादी ढांचे, विज्ञापन से मिलने वाला राजस्व, नगरपालिका कर आदि की रिकवरी का मूल्यांकन किया जाएगा। गीले कचरे का प्रबंधन, स्त्रो त पर ही नगरपालिका के कचरे को अलग-अलग करना, विकेंद्रीकृत कंपोस्ट खाद बनाने आदि के लिए वेटेज 5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।