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लंबी दूरी की ट्रेनों में तीन साल में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के 1607 मामले दर्ज
By Deshwani | Publish Date: 28/7/2017 4:54:35 PM
लंबी दूरी की ट्रेनों में तीन साल में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के 1607 मामले दर्ज

नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्र सरकार भले ही लंबी दूरी की ट्रेनों में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रेलवे सुरक्षा से जुडी बड़ी समस्या न माने, लेकिन गत तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस अवधि में महिलाओं के विरूद्ध अपराध के कुल 1607 मामले दर्ज किये गये। हालांकि यह किसी से छिपा नहीं है कि तमाम ऐसे मामलों में लोक-लाज व अन्य तात्कालिक कारणों के चलते बहुत सी घटनाओं को शिकायत प्रशासन के समक्ष दर्ज तक नहीं कराई जाती है। 
 
रेल राज्य मंत्री राजेन गोहैन ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि यह सही नहीं है कि लंबी दूरी की ट्रेनों में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराध रेलवे सुरक्षा से संबंधित एक प्रमुख समस्या है। उन्होंने बताया कि महिला यात्रियों के प्रति अपराध के मामलों की संख्या वर्ष 2014 में 448, 2015 में 553 और 2016 में 606 है। उन्होंने बताया कि इन दर्ज मामलों में कुल 1216 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 
 
गोहैन ने बताया कि रेलों पर पुलिस की व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है, इसलिए रेल परि‍सरों और चलती गाडि़यों में अपराधों की रोकथाम करना, मामलों का पंजीकरण करना, उनकी जांच करना और कानून व्ययवस्था बनाए रखना, राज्य सरकारों का सांविधिक उत्तररदायित्व है, जिसका निर्वहन वे राजकीय रेल पुलिस (रारेपु)/जिला पुलिस के जरिए करते हैं। 
बहरहाल, रेल सुरक्षा बल यात्रियों और यात्री क्षेत्र की बेहतर रक्षा और सुरक्षा करने तथा उनसे जुड़े मुद्दों पर राजकीय रेल पुलिस के प्रयासों में सहायता करता है। रेल सुरक्षा बल प्रभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण गाड़ियों का मार्गरक्षण करता है और महत्वपूर्ण तथा संवेदनशील स्टेशनों पर पहुंच नियंत्रण ड्यूटियां मुहैया कराता है।
 
इसके अलावा, गाड़ियों में महिला यात्रियों सहित यात्रियों की संरक्षा और सुरक्षा में सुधार लाने के लिए, रेलों द्वारा कई उपाय किए जा रहे हैं। जैसे भेद्य और चिह्नित मार्गो/खंडों पर, विभिन्नि राज्यों के राजकीय रेलवे पुलिस द्वारा 2200 गाडि़यों के मार्गरक्षण के अलावा, रेल सुरक्षा बल द्वारा 2500 गाडि़यों (औसतन) का मार्गरक्षण किया जा रहा है। विपत्ति के समय यात्रियों को सुरक्षा संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए सुरक्षा हेल्पेलाइन नंबर ‘182’ कार्य कर रहा है। 
गाड़ी मार्गरक्षण पार्टियों को मार्गवर्ती और हाल्ट स्टेशनों पर महिला सवारी डिब्बों पर अतिरिक्त सतर्कता रखने के लिए ब्रीफ किया गया है। पुरूष यात्रियों के महिला आरक्षित कंपार्टमेंटों में प्रवेश न करने और रेल अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत दोषियों के विरुद्ध मुकदमा चलाने के लिए नियमित रूप से अभियान चलाए जाते हैं। यात्रियों की संरक्षा और सुरक्षा निश्चित करने के लिए, भारतीय रेल के लगभग 344 स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों द्वारा निगरानी रखी जाती है।
 
महानगरों में चलने वाली सभी महिला स्पेशिल गाड़ि‍यों का महिला आरपीएफ कांस्टेबलों द्वारा मार्गरक्षण किया जा रहा है। महानगरों में उपनगरीय गाड़ियों में आरपीएफ और जीआरपी द्वारा महिला कंपार्टमेंटों का मार्गरक्षण किया जा रहा है। महिला यात्रियों की समुचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन गाड़ियों में रात्रि के समय और सुबह के समय के दौरान कर्मचारियों की तैनाती की जाती है। राजकीय रेल पुलिस द्वारा अपराध के उचित रूप से पंजीकरण और जांच के लिए, सभी स्तरों पर राज्य पुलिस के साथ नियमित रूप से समन्वय बैठकें आयोजित की जाती हैं।
 
राज्य सभा में प्रभात झा ने सवाल किया था कि क्या यह सच है कि लंबी दूरी की ट्रेनों में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराध रेलवे सुरक्षा से संबंधित एक प्रमुख समस्या है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है; पिछले तीन वर्षों के दौरान ट्रेनों में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों एवं उन मामलों में अपराधियों के विरूद्ध की गई कार्रवाई का ब्यौरा क्या है और क्या लंबी दूरी की ट्रेनों में महिला सुरक्षा को दुरूस्ता करने के उद्देश्य से विशेष नीतिगत उपाय किए गए हैं/किए जाने हैं, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
 
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