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फाइनेंस एक्ट-2017 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस
By Deshwani | Publish Date: 28/7/2017 4:04:03 PM
फाइनेंस एक्ट-2017 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस

नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंस एक्ट-2017 के खंड-14 को चुनौती देनेवाली एक जनहित पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट के ट्रस्टी विक्रांत टोंगाड की याचिका पर चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के सचिव और वित्त मंत्रालय(वाणिज्य) के संयुक्त सचिव को दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता के वकील विवेक चिब ने कोर्ट से कहा कि नए एक्ट ट्रिब्युनल में जजों की नियुक्ति और निष्कासन की प्रक्रिया संविधान का उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट से नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी ) की शक्तियां प्रभावित होंगी। इस एक्ट में एनजीटी के चेयरपर्सन और जुडिशियल मेंबर की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के साथ समझौता किया गया है। इस एक्ट में एनजीटी के चेयरपर्सन और जुडिशियल मेंबर की नियुक्ति के लिए विधिक पृष्ठभूमि या विधिक प्रशिक्षण या अनुभव या तकनीकी और वैज्ञानिक जानकारी को भी जरुरी नहीं माना गया है।
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने टैक्स ट्रिब्युनल एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट से ट्रिब्युनल में एक्जीक्युटिव को नियुक्त करने की प्राथमिकता दी जाएगी। इससे एनजीटी की सरकार से स्वतंत्रता और अलगाव खत्म हो जाएगा। याचिका में कहा गया है कि एनजीटी एक्ट 2010 में आया और एनजीटी ने 2011 से काम करना शुरु कर दिया। अपनी स्थापना के बाद से एनजीटी ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं । इन फैसलों में यमुना को पुनर्जीवित करने, गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक के अलावा फसलों के अपशिष्ट को जलाने से रोकने के फैसले काफी महत्वपूर्ण हैं। 
 
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