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आधार कार्ड की अनिवार्यता पर आदेश देने से इनकार
By Deshwani | Publish Date: 27/6/2017 6:51:30 PM
आधार कार्ड की अनिवार्यता पर आदेश देने से इनकार

 नई दिल्ली,  (हि.स.)। आधार कार्ड को 17 कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने कहा कि महज अनुमानों के आधार पर हम कोई आदेश नहीं दे सकते हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो कोर्ट में ऐसा कोई मामला खोजकर लाएं जिसमें आधारकार्ड न होने की वजह से किसी को कल्याणकारी योजना का लाभ न मिला हो। आप बताइए कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से कितने बच्चे मिडडे मिल से वंचित रह गए हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी। 

 

कोर्ट ने कहा कि हमने 9 जून के अपने फैसले में सब कुछ बता दिया है| लिहाजा अब किसी आदेश की जरूरत नहीं है। आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने कल्याण योजनाओं का लाभ लेने के लिए समय सीमा बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि सरकार को ये दिशानिर्देश दिए जाएं कि उसके आदेश से आधार कार्ड न होने पर कोई व्यक्ति कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं हो। 

 

इसके पहले सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से तत्कालीन अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि छह माह पहले भी ऐसी ही मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। जिन पर संविधान बेंच सुनवाई कर रही है। इसलिए इस याचिका को भी संविधान बेंच के समक्ष भेज देना चाहिए।

 

रोहतगी की दलीलों का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता शांता सिंह के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि 9 मई सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने की हमारी दलीलें सुनी और हमें ये आजादी दी कि अंतरिम राहत के लिए चीफ जस्टिस के पास जा सकते हैं। जिसके बाद हम चीफ जस्टिस के पास गए। उस वक्त सॉलीसिटर जनरल मौजूद थे। चीफ जस्टिस ने मामले को वेकेशन बेंच के सामने सुनवाई का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आधार एक्ट 2016 का है जबकि रिट पिटीशन 2012 का है क्योंकि आधार एक कार्यकारी योजना है जिसे चुनौती दी जा सकती है। आधार एक्ट को भी चुनौती दी गई है।

 

श्याम दीवान ने कहा कि हम जिन नोटिफिकेशन पर रोक लगाना चाहते हैं| वे पहले की याचिकाओं के बाद की हैं। उन्होंने कहा कि आधार एक्ट की धारा सात के तहत नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि जिसके पास आधार कार्ड नहीं है उसे किसी कल्याणकारी योजना की सुविधाओं से न रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। सरकार को ये भी दिशानिर्देश दिए जाएं कि वो राष्ट्रव्यापी प्रचार - प्रसार कर ये कहे कि आधार अनिवार्य नहीं है। आधार वैकल्पिक है इसलिए आप लोगों को डरा नहीं सकते हैं कि अगर आधार कार्ड से जोड़ा नहीं गया तो आपकी सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी।

 

इसके पहले 17 मई को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एल नागेश्वर राव ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था। शांता सिंह द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि कल्याणकारी​ योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। याचिका में कहा गया है कि कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को जोड़ने के लिए सरकार ने तीस जून की डेडलाइन तय की थी।

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