नई दिल्ली। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने मंत्रालय द्वारा किये गए सुधार एवं संभावित प्रभाव के बारे मेंे देशवाणी को विस्तार से बताया-
1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : भारत सरकार द्वारा पूर्व में प्रचलित मोडिफाइड राष्ट्रीय कृषि इंश्योरेंस योजना (NAIS) की कमियों को दूर करते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 से प्रचालित की गई है। इस योजना के तहत खाद्यान्न एवं तिलहन फसलों के लिए खरीफ में अधिकतम 2 प्रतिशत, रबी में अधिकतम 1.5 प्रतिशत एवं वाणिज्यिक बागवानी-वाणिज्यिक फसलों के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत प्रीमियम दर तय की गई है जो आज तक की न्यूनतम दर है। इसमें न सिर्फ खड़ी फसल वरन फसल पूर्व बुवाई तथा फसल कटाई के पश्चात् जोखिमों को भी शामिल किया गया है। इस योजना के तहत स्थानीय आपदाओं की क्षति का आकलन पहली बार बीमित रूप से खेत के आधार पर प्रतिबंधित है तथा संभावित दावों का 25 प्रतिशत भुगतान तत्काल ऑनलाइन किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण किसानों की क्षति का अधिकतम लाभ उन्हें दिलाने के लिए फसलों की बीमित राशि को स्केल ऑफ फाइनेंस (ऋण मान) बराबर कर दिया जाता है।
यहाँ उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17 में न सिर्फ किसानों की कुल बीमित राशि करीब 2 गुणा हुई है वरन गैर ऋणी किसानों का कवरेज भी वर्ष 2015-16 के 5 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 22 प्रतिशत हो गया है जो इस योजना की बढ़ती स्वीकार्यता को प्रदर्शित करता है।
2. राष्ट्रीय कृषि मण्डी : पहले देश के सभी राज्यों में अलग-अलग मण्डी कानून थे। किसानों के लिए एकल मण्डी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्यों से बात कर तीन प्रमुख सुधार यथा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग को मान्यता, एकल बिन्दु पर मार्केट फी एवं एकीकृत लाइसेंस पद्धति किए गए। 14 अप्रैल, 2016 को अम्बेडकर जयंती के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा राष्ट्रीय कृषि मण्डी, वेब आधारित ऑनलाइन व्यापार पोर्टल की शुरुआत की गई। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी उपज देश भर की मण्डियों के माध्यम से बेच सकेंगे। 8 जून, 2017 तक 13 राज्यों की 419 मण्डियाँ, 46 लाख किसान, 90,000 व्यापारी एवं 47,000 कमीशन एजेंट ई-नाम पोर्टल से जुड़ चुके हैं जिनके द्वारा 22,179 करोड़ रुपये की राशि से 96 लाख मीट्रिक टन उत्पादों का कारोबार किया है।
3. मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एस.एच.सी.) : वर्ष 2015-16 के पूर्व विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा छोटे स्तर पर अलग-अलग संस्करणों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाये जाते थे तथा इसके लिए अलग से कोई राशि आवंटित नहीं की जाती थी। इस विषय की गम्भीरता को देखते हुए पहली बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रारंभ की गई जिसमें एक समान मृदा नमूना एकत्रीकरण एवं परीक्षण पद्धति को अपनाया गया है। इस योजना के माध्यम से 12 मृदा स्वास्थ्य पैरामीटरों का विश्लेषण किया जाता है जिससे किसान को अपनी जमीन में उर्वरकों एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के जरुरत की सही जानकारी हो सके। इस योजना के माध्यम से न सिर्फ किसानों के लागत मूल्य में कमी आ रही है वरन सही पोषक तत्वों की पहचान एवं उपयोगिता भी बढ़ी है। वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2016-17 के दौरान रसायनिक उर्वरकों की खपत में 8 से 10 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं उत्पादन में 10 से 12 प्रतिशत की समग्र वृद्धि हुई है।
4. कृषि वानिकी : वर्तमान सरकार द्वारा मेड़ पर पेड़, खेत में पेड़ तथा Intercropping में पेड़ लगाने के उद्देश्य से पहली बार कृषि वानिकी उपमिशन योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना का कार्यान्वयन उन्हीं राज्यों में किया जा रहा है। जहां निजी भूमि पर इमारती लकड़ी की कटाई एवं पारगमन हेतु अधिसूचना में छूट जारी की गई है। इससे न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने, मृदा जैविकता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी वरन यह किसानों के लिए आय का भी स्रोत साबित हो रहा है। इस योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 8 राज्य तथा 2017-18 में 5 राज्यों में विनियमन की छूट के उपरांत कार्य प्रारंभ हो चुका है तथा अन्य राज्यों को भी इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है।
5. राष्ट्रीय गोकुल मिशन : यह योजना देश में पहली बार वैज्ञानिक एवं समेकित ढंग से स्वदेशी गौवंश नस्लों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु प्रारंभ की गई है। इसके माध्यम से 27 राज्यों में 35 परियोजनाओं का अनुमोदन किया गया है। जिसके तहत 31 उच्च नस्ल के मादा गौवंश फार्म (Mother Bull Farm) (नस्लीय सुधार हेतु) गायों के दुग्ध उत्पादकता की रिकॉर्डिंग, 30,000 कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों का प्रशिक्षण जिससे 6.9 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान इस वर्ष किए गए। साथ ही गौवंश के विशेष संरक्षण हेतु 14 गोकुल ग्राम (गौपशु विकास केन्द्रों) की स्थापना की जा रही है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर स्वदेशी नस्लों के विशेष संरक्षण हेतु 2 कामधेनु ब्रीडिंग सेन्टर आंध्र प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में स्थापित किए जा रहे हैं। इस मिशन से लगभग 7 करोड़ दुग्ध उत्पादक किसानों व 30 करोड़ गौवंश एवं भैंस वंश की उत्पादकता में सुधार होगा।