नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए द्वारा रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद गुरुवार को 17 विपक्षी दलों की बैठक के बाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को संयुक्त उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया है।
ये घोषणा विपक्षी दलों का नेतृत्व कर रही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के चयन के लिए गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 17 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। बैठक के बाद सोनिया गांधी ने कहा, हम विपक्ष से अपील करते हैं कि वो मीरा कुमार का समर्थन करें।'
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव में कहा, 'मोदी सरकार अहंकार में चूर है| आम सहमति के नाम पर केवल नाटक हुआ। हमारी पार्टी के भी राष्ट्रपति चुनाव में वोट पड़ेंगे लेकिन बात तक नहीं की। सीबीआई और ईडी को हमारे पीछे लगाकर परेशान करने का तरीका ढूंढा जा रहा है।' वहीं लालूू ने नीतीश को लेकर कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार से बात की है| वे अपने निर्णय के बारे में पुर्नविचार करें, जो उनका व्यक्तिगत निर्णय है।
मीरा कुमार कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी का बड़ा दलित चेहरा हैं| यही वजह है कि कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है जिससे विपक्ष से झटक कर एनडीए के पक्ष में जाने वाले नीतीश कुमार को फिर से एक बार उनके नाम पर विचार करने पर विवश किया जा सके, क्योंकि मीरा कुमार सासाराम से दो बार सांसद रह चुकी हैं।
पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार पिछली लोकसभा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनके उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा पहले से ही थी। राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार के लिए मीरा कुमार के अलावा सुशील कुमार शिंदे, गोपाल कृष्ण गांधी और प्रकाश आंबेडकर के नाम की चर्चाएं थी। विपक्ष की बैठक में से पहले सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा था कि लेफ्ट गोपाल कृष्ण गांधी को उम्मीदवार के तौर पर देखना चाहता है।
विपक्ष की तरफ से मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बीएसपी अब उनका समर्थन कर सकती है। मीरा कुमार कांग्रेस महासचिव और कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य भी रह चुकी हैं। वर्ष 1945 में पटना में जन्मीं और दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज व मिरांडा हाउस से शिक्षा ग्रहण करने वाली मीरा कुमार, कानून में स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं। वर्ष 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (आएफएस) के लिए चुनी गईं। इसके बाद स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहीं लेकिन अफसरशाही उन्हें रास नहीं आई और उन्होंने राजनीति में कदम बढ़ाने का फैसला किया।
मीरा कुमार ने अपना राजनीतिक सफर उत्तर प्रदेश से शुरू किया। वर्ष 1985 में बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में उन्होंने यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कद्दावर दलित नेता रामविलास पासवान को पराजित कर पहली बार संसद में कदम रखा। हालांकि इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनौर से पराजित हुईं। इसके बाद उन्होंने अपना क्षेत्र बदला और 11 वीं तथा 12 वीं लोकसभा के चुनाव में वह दिल्ली के करोलबाग संसदीय क्षेत्र से विजयी होकर फिर संसद पहुंचीं।
इसके बाद बिहार के सासाराम संसदीय क्षेत्र में 1998 और 1999 के चुनावों में बीजेपी के मुनिलाल ने उन्हें पराजित कर दिया। लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में पासा पलट गया, मीरा कुमार ने मुनिलाल को 2,58,262 मतों से हरा दिया। उस समय इन्हें पहली बार केन्द्र में मंत्री पद भी प्राप्त हुआ और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया।
उल्लेखनीय है कि एनडीए की तरफ से रामनाथ कोविंद के नाम के ऐलान के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा था कि वह राष्ट्रपति पद के लिए कोविंद का समर्थन कर सकती हैं बशर्ते कि विपक्ष की तरफ से कोई बड़ा दलित उम्मीदवार मैदान में न हो।
रामनाथ कोविंद को एनडीए के साथ-साथ कई विपक्षी दलों ने समर्थन का ऐलान किया है। विपक्षी एकता को उस समय बड़ा झटका लगा जब जेडीयू ने बुधवार को कोविंद के समर्थन का ऐलान कर दिया। जेडीयू के अलावा टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और एआईएडीएमके जैसे कई गैर-एनडीए दल भी कोविंद के समर्थन का ऐलान कर चुके हैं।