नई दिल्ली, (हि.स.)। राष्ट्रपति चुनाव पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी के सदस्य केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने शुक्रवार देर शाम अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में चौंकाने वाली बात यह है कि राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू ने जिस अंदाज विपक्ष के सामने ये सवाल रखा कि उनका उम्मीदवार कौन है? ठीक बिलकुल उसी अंदाज में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से पूछा कि किसी बेहतर उम्मीदवार का नाम वो सुझाएं। दोनों वरिष्ठ नेताओं ने साफ-साफ कहा कि फिलहाल उनके सामने कोई नाम नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार, जोशी ने नायडू के सामने राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी के उम्मीदवार को लेकर पांच सुझाव दिए हैं। राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार राजनैतिक हो। पार्टी की विचारधारा से सहमत हो। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विचारों और सरकार की नीतियों को रख सकता हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम को आगे बढ़ा सके। जो भी उम्मीदवार हो, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उससे सहमत हो। जोशी ने कहा कि अगर ये फ्रेम रखकर नाम तय किया जाएगा, तो देश को बेहतर राष्ट्रपति मिलेगा।
विपक्ष के साथ-साथ भाजपा का अपने दोनों वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से ये पूछना कि वो सुझाए कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए बेहतर नाम कौन हो सकता हैं। इससे काफी हद तक यह बात साफ है कि इन दोनों नेताओ को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की रेस से बाहर कर दिया गया है। अगर इन दोनों नेताओं को उम्मीदवार बनाना होता, तो इनसे बेहतर उम्मीदवार कौन हो सकता है। इस पर नाम नहीं पूछे जाते।
इससे पहले, शुक्रवार को राजनाथ और वेंकैया नायडू ने सोनिया गांधी सहित विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात कर उनसे राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम पूछा लेकिन अपने पत्ते नहीं खोले। इस पर विपक्ष ने भी राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू पर चुटकी ली कि जिन्हें अपनी पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम नहीं पता हैं। वो हमसे पूछ रहे हैं कि आप सुझाव दे कि किसे उम्मीदवार बनाना चाहिए। ये आम मुलाकात राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम राय बनाने के लिए नहीं थी बल्कि शिष्टाचार के लिए थी। दरअसल आम सहमति बनाने के नाम पर शिष्टाचारिक मुलाकात कर भाजपा नेतृत्व ये संदेश देना चाहता हैं कि वो आम सहमति बनाना चाहते थे, लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं था और मजबूरी में चुनाव कराना पड़ा।