नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरूवार को पश्चिम बंगाल सरकार से गोरखालैंड मामले पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही राज्य सरकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने को भी कहा है। गृह मंत्रालय दार्जलिंग में तनावपूर्ण स्थिति पर निगरानी रख रहा है।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता विमल गुरूंग के दार्जलिंग स्थित कार्यालय पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा छापा मारे जाने के बाद संगठन ने अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया था| गौरतलब है कि पुलिस ने छापामारी में बड़ी संख्या में हथियार, तीर, नगदी आदि बरामद किया है। संगठन का कहना था कि यह एक राजनीतिक मामला है और राज्य सरकार को इसे राजनीतिक रुप से ही हल करना चाहिए। मोर्चा के महासचिव रोशन गिरी ने कहा कि हम शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं जो पुलिस के दमन के विरुद्ध है। यह एक राजनीति मामला है| कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार को इसे राजनीतिक रूप से हल करना चाहिए।
मोर्चा के सहायक महासचिव विनय तमांग ने कहा कि कि वह गोरखालैंड चाहते हैं क्योंकि उनके संस्कृति, अधिकारों और परंपरा का सम्मान नहीं किया जाता है। हम आदिवासी हैं| हमारी परंपरागत तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की जाने वाली है| पुलिस ने हमारे परंपरागत उपकरणों को हथियार के रूप में दिखाया है। यही कारण है कि हम गोरखालैंड की मांग कर रहे हैं क्योंकि हमारे अधिकारों, संस्कृति, विरासत और परंपराओं का यहां कुछ भी सम्मान नहीं है।
गुरुंग का कहना है कि पुलिस अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी कैडर की तरह काम कर रही थी| सभी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ जवानों को दार्जलिंग भेज दिया गया है। लेकिन हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
गौरतलब है कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी सहित छह दलों ने अलग गोरखालैंड राज्य के लिए प्रस्ताव पारित किया था| बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस का कहना है कि गोरखा भारत से संबंधित हैं लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें इस हद तक विचलित कर दिया है कि उनकी पहचान संकट में आ गई है| इसी कारण हिंसा शुरू हो गई है। बोस ने बढ़ते तनाव के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि सत्तारुढ़ दल केवल कुछ धन उपलब्ध कराकर और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए)बनाकर इस मुद्दे को हल नहीं कर सकता। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जीजेएम आंदोलन को घृणित बताया और शांति बनाए रखने के लिए क्षेत्र के लोगों से अपील की है। मोर्चा के समर्थक दार्जलिंग की पहाड़ियों में स्थित स्कूलों में बंगाली भाषा को कथित थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।