नई दिल्ली। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।
उच्चतम न्यायालय ने पशु वध के लिए बाजारों में पशुओं को खरीदने-बेचने पर रोक लगाने संबंधी केन्द्र की अधिसूचना को चुनौती दने वाली याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने केन्द्र से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है और मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को रखी है। न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति एस के कौल की अवकाश पीठ अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सोलीसिटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने पीठ को बताया कि अधिसूचना लाने का उद्देश्य देशभर में पशुओं की खरीद-फरोख्त के बारे में नियामक व्यवस्था कायम करना है। एक याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि अधिसूचना के प्रावधान असंवैधानिक हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों से मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है जिनमें धर्म और आजीविका के अधिकार भी शामिल हैं। सरकार ने पिछले महीने पशुओं की खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी थी और कहा था कि ऐसा सिर्फ कृषि कार्यों के लिए किया जा सकता है।
पशुधन ब्रिक्री : सरकार सभी विषयों पर गंभीरता से कर रही विचार : हर्षवर्धन
नई दिल्ली। पशुधन की बिक्री को लेकर सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर चल रहे विवाद पर गुरुवार को पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सभी विषयों पर गंभीरता और ईमानदारी से विचार किया जा रहा है।
दिल्ली के चिड़ियाघर में एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम (सरकार) पहले ही कह चुके हैं कि अगर किसी की इस विषय पर कोई चिंता है तो हम उस पर गंभीरता और ईमानदारी से विचार करने को तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम हर उस व्यक्ति तक पहुंच बनाना चाहते हैं जो इस मुद्दे पर आहत हुए हैं।’’
वहीं इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने पशुधन बिक्री संबंधी नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। हैदराबाद निवासी कुरैशी की याचिका पर जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस संजय किशन कौल की अवकाशकालीन बेंच ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई तक का समय दिया है लेकिन सरकार इससे पहले ही अपना जवाब दाखिल कर देगी। पर्यावरण मंत्री ने इससे पहले कहा था कि अधिसूचना के पीछे किसी विशेष समूह को नुकसान पहुंचाना, भोजन की आदत बदलना या कत्ल व्यापार को प्रभावित करना नहीं था।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत पिछले माह एक नया नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें बाजार में पशु को खरीदते व बेचते समय यह वादा करना होगा कि उसका इस्तेमाल कत्लखानों के लिए नहीं होगा। वहीं मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा पशु बिक्री को लेकर जारी किए गए नए नियमों पर पहले रोक लगा दी थी।