राष्ट्रीय
भारत-रूस के राष्ट्रीय हितों से तय होगी भविष्य की दिशा
By Deshwani | Publish Date: 9/6/2017 7:09:32 PM नई दिल्ली, (हि.स.)। भारत और रूस की 70 साल पुरानी दोस्ती और संयुक्त राष्ट्र के रूसी भाषा दिवस को चिन्हित करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के स्कूल ऑफ फॉरेन लेंग्वेजेज ने 'रूस और बदलता विश्व' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में इंडो-रूसी संबंधों और भाषा और संस्कृति के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसमें राजदूत अनिल त्रिगुणयाट, प्रोफेसर अश्विनी महापात्रा, जेएनयू, प्रोफेसर आर एन मेनन- इंडैप्रियल के अध्यक्ष तथा रूसी दूतावास से सांस्कृतिक परामर्शदाता नाना मगालेदझे शामिल थे।
राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने बदलते विश्व व्यवस्था पर प्रकाश डाला, जहां राष्ट्रों को फिर से संरेखित किया गया और उन्होंने चेतावनी दी कि इस मंथन से वैश्विक स्तर पर बिजली के समीकरणों में कुछ समायोजन हो सकते हैं। उन्होंने इस तथ्य को दोहराया कि उस समय सोवियत युग ने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध देखा। समय-समय पर चीन-रूस के संबंधों में सुधार हुआ है, जबकि भारत-रूस संबंध अभी भी बहुत मजबूत हैं, लेकिन दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों द्वारा भविष्य की दिशा निर्धारित की जाएगी।
इग्नू के विदेशी भाषा स्कूल के डॉ. शिवाजी भास्कर ने संगोष्ठी में कहा कि भारत-रूस के 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन भारत-रूस संबंधों को उच्चतम स्तर तक ले जा रहे हैं। सहयोग के क्षेत्र में विविधता लाने और वार्षिक द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को वर्ष 2025 तक 30 अरब डॉलर तक बढ़ाने के प्रयास कर रही है।