नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली पत्रकार संघ (डी.जे.ए.) संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं मीडिया की आज़ादी को भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था की पहचान मानता है।
संघ के महासचिव प्रमोद कुमार ने शुक्रवार को कहा कि आपातकाल रहा हो या बिहार प्रेस बिल, डी.जे.ए. ने मीडिया पर अंकुश लगाने के सरकारों के प्रयासों का हमेशा डटकर सामना किया है। लेकिन हमारा संगठन मीडिया में साधन और साध्य की पवित्रता को भी उतना ही पवित्र मानता है और इसके लिए बराबर प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि हॉल ही में एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय की कंपनी आर.आर.पी.आर होल्डिंग्स पर आईसीआईसीआई बैंक लोन गड़बड़ियों को लेकर की गयी सीबीआई छापेमारी को मीडिया पर हमले के तौर पर बताना और प्रायोजित करना पूर्णतः ग़लत है। आर्थिक अनियमितताएं करने पर भी मीडिया से जुड़े संस्थान जांच के दायरे से बाहर ही रहने चाहिए| ऐसा मानने, सोचने और इसकी मांग करने वाले लोग क्या मीडिया को संवैधानिक जांच प्रक्रिया से भी ऊपर समझते हैं। एक जिम्मेदार पत्रकार संगठन होने के नाते दिल्ली पत्रकार संघ लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की स्थिति को सवालों के दायरे लाने और अनावश्यक बहस में घसीटने की निंदा करता है। इस मामले को मीडिया की आजादी से जोड़ना मीडिया की गरिमा पर कुठाराघात है। आर्थिक अनियमितताओं और घपलों को दबाने के लिए मीडिया पर कुठाराघात का पैंतरा चलना छल है। जिसका सभी जिम्मेदार पत्रकारों को विरोध करना चाहिए। पत्रकारिता की आड़ में “कुछ भी करने” की कुचेष्टा ने इस पावन पेशे की गरिमा तार-तार की है।
उन्होंने कहा, 'दिल्ली पत्रकार संघ मांग करता है कि आर.आर.पी.आर होल्डिंग्स मामले से जुड़ी अनियमितताओं की बारीकी से जांच हो। जांच को प्रभावित किये बिना अधिकतम ब्यौरा पूरे मीडिया के साथ साझा किया जाये ताकि मामले में दूध का दूध, पानी का पानी हो और मीडिया की साख भी बची रहे।
दरअसल एनडीटीवी चैनल के संस्थापक प्रणय रॉय के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई ने छापा मारा था| कुछ पत्रकारों, संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस छापे को लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ पत्रकारिता पर हमला बताया था।