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भाजपा का मेहनतकश लोगों के प्रति विरोध व दमनकारी रवैया : बसपा
By Deshwani | Publish Date: 8/6/2017 4:58:51 PM
भाजपा का मेहनतकश लोगों के प्रति विरोध व दमनकारी रवैया : बसपा

 नई दिल्ली, (हि.स.)। मध्यप्रदेश के मंदसौर की घटना पर अब राजनीति तेज हो चली है। कांग्रेस, जद (यू), वाम मोर्चा और सपा के बाद अब बसपा ने भी केंद्र और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर घेरा है। 

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंदसौर हादसे की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश में निहत्थे व निर्दोष किसानों पर हुई पुलिस की गोलीबारी में छह किसानों की मौत पर गहरा दुःख पहुंचा है। 
मायावती ने गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार और खासतौर देश में भाजपा सरकारों का गरीबों, मज़दूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के प्रति विरोध व दमनकारी रवैया समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है तथा यह लगातार विभिन्न रूपों में उन पर मुसीबत बनकर टूटता रहता है।
मायावती ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं, फिर भी सरकारों की उदासीनता के कारण कर्ज से बेहाल हैं| उसे कर्ज से मुक्ति चाहिये जिसके सम्बंध में भाजपा सरकार बार-बार वादा तो करती है परन्तु उसे अन्य चुनावी वादों की तरह कभी ईमानदारी से पूरा नहीं करती है। 
मायावती ने कहा कि बसपा मध्य प्रदेश यूनिट के लोग किसानों की मांगों के पूर्ण समर्थन में हैं| वे पीड़ित परिवारों से पूरी सहानुभूति रखते हैं तथा उनसे मिलने अवश्य ही जाना भी चाहते हैं परन्तु वहां की भाजपा सरकार के रवैये के कारण फिलहाल मजबूर है। 
उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों गरीबों, मज़दूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश तबकों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया शुरू से ही विरोधी रहा है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने केन्द्र में अपनी सरकार बनते ही धन्नासेठों के पक्ष में सबसे पहले नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाकर किसानों को उनकी ज़मीन से बेदखल करने का प्रयास किया। अब जबकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व हरियाणा आदि राज्यों के किसान अपनी फसल की उचित क़ीमत आदि की जायज़ मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं, तो उन पर भाजपा की सरकार लाठियां व गोलियां बरसा रही है। यह अत्यन्त ही दुःखद व निन्दनीय है। 
मायावती ने कहा कि किसान वर्ग इस देश की रीढ़ हैं फिर भी सरकारी उदासीनता के चलते यह काफी बड़ा मेहनतकश समाज काफी बदहाल है। देश के करोड़ों गरीबों व मजदूरों आदि की तरह काफी कम आय में भी शान्तिपूर्वक अपना गुजर-बसर करने वाले किसान वर्ग के लोग विभिन्न प्रकार के कर्जों के बोझ तले डूबे हुए हैं। इन्हें कर्ज से मुक्ति चाहिये, जिसके सम्बंध में भाजपा सरकार बार-बार वायदा करती है परन्तु उसे ईमानदारी से पूरा नहीं करती है। सरकार को अपना वायदा निभाना चाहिये और विदेशों से कालाधन वापस लाकर देश के प्रत्येक गरीब परिवार के हर सदस्य को 15 से 20 लाख रुपये देने के अपने चुनावी वायदे की तरह ही किसानों के साथ भी वादाखिलाफी का जुर्म नहीं करना चाहिये। किसानों की कर्ज माफी के सम्बंध में केन्द्र की मोदी सरकार को भी आगे आना चाहिये और अपने सहयोगियों को प्रभावित राज्यों में केवल अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजने तक ही सीमित नहीं रखना चाहिये।
दरअसल मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों के आंदोलन के दौरान मंगलवार को 6 किसानों की मौत हो गयी थी। उसके बाद मंदसौर समेत देश के कई हिस्सों में इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
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