नई दिल्ली, (हि.स.)। प्रेस की आजादी का पूरा सम्मान करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई ने मीडिया और एनडीटीवी द्वारा चैनल के प्रमोटरों और अन्य लोगों से संबंधित उसकी जांच पड़ताल को प्रेस की आजादी पर हमला बताए जाने को सरासर गलत बताया है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि निजी बैंकों के मामलों की जांच करने का उसे पूरा अधिकार है।
सीबीआई ने मंगलवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि चैनल के मालिक प्रणय रॉय और उसकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ कांटेक्ट सिक्योरिटीज के निदेशक और एनडीटीवी के पूर्व कर्मी संजय दत्त की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज हुई है। अदालत द्वारा जारी तलाशी वारंट के आधार पर सीबीआई ने उनके दिल्ली और देहरादून स्थित 4 ठिकानों पर छापे मारे थे। चैनल के स्टूडियो, न्यूज़ रूम या परिसर के पंजीकृत कार्यालय में कोई तलाशी नहीं ली गई।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीबीआई पूरी तरह से प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करती है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक एनडीटीवी के शेयर धारक की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है और इस स्तर पर आरोपों को दोष मुक्त करना और एजेंसी पर गलत तरीके से आरोप लगाकर उसकी छवि खराब करने का प्रयास किया गया है। उसका कहना है कि जांच कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार और न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में की जा रही है जांच के दौरान मिले सबूतों के आधार पर जांच के परिणाम अदालत के समक्ष पेश किए जाएंगे।
एनडीटीवी के बयान में उल्लेख किया गया है कि एनडीटीवी उसके प्रमोटरों ने किसी भी ऋण के भुगतान में चूक नहीं बरती है। सीबीआई का कहना है कि उसकी जांच आरोपियों के भुगतान के संबंध में नहीं है लेकिन प्रमोटरों को 48 करोड़ रुपये के गलत लाभ से संबंधित प्रणय रॉय उसकी पत्नी राधिका रॉय और उनकी कंपनी और आईसीआईसीआई बैंक के कुछ अज्ञात अधिकारियों के अपराधिक षड्यंत्र से उत्पन्न होने वाली गलत हानियां है। शिकायत में आरोप लगाया गया है एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय श्रीमती राधिका रॉय, उनकी कंपनी और बैंक के अज्ञात अधिकारियों ने बैंकिंग विनियम की धारा 19 दो का उल्लंघन किया है और 19 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर को घटाकर 9.5 प्रतिशत किया गया। इसके परिणाम स्वरुप बैंक को 48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि उसके प्रमोटरों को लाभ हुआ।
एनडीटीवी के मालिक प्रणय राय के बयान में कहा है कि आईसीआईसीआई एक निजी बैंक है। सीबीआई ने स्पष्ट किया है कि 2016 में रमेश गली बनाम सीबीआई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि भ्रष्टाचार प्रतिबंध अधिनियम 1988 के प्रावधान निजी बैंकों के अधिकारियों पर लागू होते हैं| इसलिए निजी बैंकों के मामले की जांच शुरू करने के लिए सीबीआई को पूरा अधिकार है। यह उसके क्षेत्राधिकार में है।
सीबीआई ने सभी संबंधित लोगों से जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है और कहा है कि जांच की कार्यवाही कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार हो रही है।